Photo Credits: Twitter(@SatyajitMittal)
Delhi: इंडियन टॉयलेट में बैठना सबके लिए आसान नहीं होता है। बुजुर्ग नागरिक हों या नौजवान, सभी वेस्टर्न टॉयलेट ही तलाशते हैं। वजह इंडियन टॉयलेट (Indian Toilet) में देर तक बैठने पर होने वाली तकलीफ, वहीं वेस्टर्न टॉयलेट में मोबाइल चलाते हुए काफ़ी देर बैठा सकते है।
ये तो उनके बारे में चर्चा हो गई जो वेस्टर्न टॉयलेट बनवा सकते हैं, देश के बहुत बड़ी आबादी कुछ वर्ष पहले तक शौचालय उपयोग करने की आदी तक नहीं थी, वेस्टर्न टॉयलेट तो दूर की बात है। बुजुर्गों को इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करने में समस्या होती है।
कई बार बुजुर्गो को पेशाब रोक कर भी रखना पड़ता है, क्योंकि हड्डियों के जोड़ों के दर्द उनके सहन के बाहर होता है। बुज़ुर्गों की समस्या को समझ सत्यजीत मित्तल (Satyajit Mittal) ने। समस्या का समाधान ‘Squat Ease’ बना दिया। सत्यजीत MIT, Institute of Design के छात्र भी रह चुके हैं।
सत्यजीत के डिज़ाइन किये टॉयलेट पर सरलता से बैठा जा सकता है और इसमें पानी की भी कम ज़रूरत पड़ती है। उन्होने एक समाचार अख़बार को बताया की मैंने पहले दिक्कत को भाप लिया था। लोगों को स्वास्थय, साफ़-सफ़ाई के रख-रखाव को लेकर दिक्कत थी और इसके साथ ही लोग सरलता से बैठ नहीं पा रहे थे।
Just met at #wwweek Satyajit Mittal, Founder of SquatEase toilet pan. Entrepreneur with product that speaks for itself. pic.twitter.com/SouIFzfHR4
— PHLUSH (@PortlandPHLUSH) August 28, 2017
आगे बताया की सबसे आवश्यक था लोगों की टॉयलेट जाने की आदत को बदलना। अधिकतम लोग अपनी एड़ियां ऊंची करके बैठते हैं और अपने पैर की उंगलियों पर शरीर को संतुलित करते हैं, क्योंकि उन्हें Squat करने में समस्या होती है, सत्यजीत के शब्दों में पैर की उंगलियों पर सारा वजन देने से गिरने का डर रहता है और घुटने पर भी भार पड़ता है। इसके साथ ही पानी भी अधिक ख़र्च नहीं होता है। टॉयलेट के फ़ुटरेस्ट ज़रा ऊंचे हैं तो आप किसी और तरीके से बैठने की प्रयास भी नही करते।
सत्यजीत ने किया टॉयलेट को किया पूर्णनिर्माण
वर्श 2016 में सत्यजीत को Squat Ease का ख्याल आया था। भारत सरकार से उन्हें ‘Prototyping Grant’ मिला और उन्होंने कार्य प्रारंभ कर दिया। लोगों के घुटनों, जांघ और कूल्हों, जोड़ों पर अधिक तनाव ना पड़े इस कारण सत्यजीत ने देसी टॉयलेट का पुनर्निर्माण किया।
सत्यजीत (Satyajit Mittal) के डिज़ाइन में लोगो को अपनी ऐड़ी आसानी से रखने की सुविधा मिलेगी। टॉयलेट (Toilet) में अधिक सतह है जिससे सब सरलता से अपनी पीठ, पैर की उंगलियां और घुटने एडजस्ट करके तरीके से बैठ सकते हैं। सत्यजीत का कहना है कि दृष्टिहीन भी सरलता (Easy) से इस टॉयलेट का उपयोग कर सकते हैं।
Aptly named #SquatEase, Mittal’s design received the Swachh Bharat Puraskaar 2018, the top prize for innovation awarded at the Mahatma Gandhi International Sanitation Convention. We need such a #flapper on the Uganda market #sanitation #marketing pic.twitter.com/JDvOd9u5rB
— Keesiga Diana (@dkeesiga) October 20, 2018
जो परों की उंगलियों पर बैठते हैं उनसे ही कराइ जाँच सत्यजीत ने बताया कि ‘Squat Ease’ की जाँच करने वे उन लोगों के पास गए जो आपने पैर की उंगलियों पर बैठकर टॉयलेट का उपयोग करते थे। सत्यजीत ने ‘Orthopedic Department’ में टेस्टिंग की। घुटने के दर्द की समस्या वाले लोगों ने उपयोग किया और रिज़ल्ट पॉज़िटिव मिला।
It’s an absolute pleasure to meet Mr. Toilet, founder of World Toilet Organisation and BoP hub @jackwto ! Had a great evening discussing SquatEase.
Also presented him the first manufactured SquatEase Pot! #sanitation #squatease #toiletsforall pic.twitter.com/cymKBtpa6I
— satyajit mittal (@SatyajitMittal) February 26, 2018
आगे बताया की जो लोग किसी वास्तु को पकड़कर बैठते थे, उन्हें भी ये प्रोडक्ट अच्छा लगा। “2018 में मैंने World Toilet Organisation, सिंगापुर के सहयोग से अक्टूबर 2018 प्रोडक्ट मार्केट में पहुंच गया मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस टॉयलेट की क़ीमत मात्र 999 रुपये हैं। मतलब कम बजट में आप आराम का मामला वाली फीलिंग फील कर सकते हैं।