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Amarpatan: कहा जाता है कि व्यक्ति कि कुछ कर दिखाने की इच्छा ही उससे जिदंगी में कठिन से कठिन कार्य करवाती है। हर व्यक्ति के जीवन में कुछ न कुछ बनने का या हासिल करने का सपना हाता हैं। लेकिन हमने आस पास देखा है, कि कुछ लोग ऐसे होते है, जो केवल हालातों का रोना रोते रह जाते हैं और अपने जीवन में कुछ भी हासिल नहीं कर पाते है।
वहीं दूसरी और बात की जाये तो कुछ लोग ऐसे होते है, जो कि हर हालातों से लड़ते हुए कड़ा परिश्रम करते हैं और अपनी चाहत को सपनों को अपनी जिद से पूरा करने में सफलता प्राप्त कर लेते है। और जब तक उन्हें सफलता नहीं मिल जाती तब तक वह लोग कड़ा परिश्रम करते ही रहते है।
जीवन में कुछ कर दिखाने का और हासिल करने का ऐसा ही सपना सब्जी का ठेला (Vegetable Thela) लगाने वाले एक युवक ने देखा। उसका सपना जज बनकर लोगों को न्याय दिलाना था। इसी सपने को प्राप्त करने के लिए और सफलता हासिल करने के लिए उस युवक ने पूरे दिन सब्जी का ठेला लगाया और रात में घर आकर अपनी पढ़ाई की उसके बाद उसने जज बनने के लिए परीक्षा (Civil Judge Exam) दी और जब रिजल्ट आया तो उसकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। क्या है पूरी खबर आइए जानते है इस बारे में।
यह खबर है मध्यप्रदेश के सतना जिले की
जीवन में इतने उतार चढ़ाव और कठिन संघर्ष के बाद सफलता के इस मुकाम को हासिल करने की आज की यह कहानी है, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सतना (Satna) जिले की। जहां पर एक सब्जी का ठेला लगाने वाले युवक ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया जिसे अच्छे-अच्छे लोग अपने जीवन मे हर सुविधा होने के बाद भी नहीं कर पाते हैं।
हम बात कर रहे है, अमरपाटन (Amarpatan) में रहने वाले एक गरीब परिवार के बेटे शिवाकांत कुशवाहा की। जिनके पिताजी का नाम कुंजीलाल है। वह मजदूरी करने का काम करते थे और इसी मजदूरी के पैसों से अपना पूरा परिवार चलाते थे।
कठिनाईयों से भरा था शिवाकांत जी का जीवन
पिता जी की कमाई उतनी अच्छी नहीं होने के कारण उनका घर पिताजी की मजदूरी से बहुत ही मुश्किल से चलात था। यह देख कर उनकी माता जी ने भी अपने पति के साथ मजदूरी करना प्रारंभ कर दिया। ताकि उनका घर अच्छे से चल सके। लेकिन उनकी कमाई से बड़ी ही मुश्किल से घर का राशन आ पाता था। बड़ी ही मुश्किल से घर के खर्चे चल पाते थे।
पूरे दिन भर जब मजदूरी करने के बाद शिवाकांत जी का परिवार सब्जी बेचते थे। उसके बाद ही उनके घर में दो बक्त के लिए राशन हो पाता था। जब यह सब चीजें चल ही रही थी, कि इसी बीच में उनके पुरे परिवार को एक बड़ा धक्का लग गया। वर्ष 2013 में शिवाकांत जी की मां शकुन बाई जी की कैंसर की वजह से मृत्यू हो गई थी।
शिवाकांत ने संभाली घर की जिम्मेदारी
शिवाकांत (Shivakant Kushwaha) की बात की जाये, तो वह शुरू से ही पढ़ाई में अच्छे थे। यही कारण था, कि इतनी खराब कंडीशन होने के बाद भी वह अपनी पढ़ाई को जारी रख पाये। घर का खर्चा चल सके और घर में 2 वक्त का खाना आ सके इसलिए शिवाकांत जी घर की जिम्मेदारी को संभालने के लिए सब्जी का ठेला लगाने लगे। और अपने घर के खर्चे में अपना योगदान देने लगे।
शिवाकांत जी का परिवार
शिवाकांत जी के परिवार में उनके दो भाई और एक बहन है और मां कि मृत्यू के बाद पिता के साथ शिवाकांत जी ने अपने घर की जिम्मेदारी संभाल ली थी। शिवाकांत जी की मां का एक सपना था। कि उनका बेटा शिवाकांत जज बने। इसी कारण से ही उन्होंने रीवा के कॉलेज ठाकुर रणमत सिंह में एलएलबी की पढ़ाई में एडमिशन ले लिया।
शिवाकांत के ऊपर घर की जिम्मेदारी के साथ साथ अपनी पढ़ाई का भी दारोमदार था। जिस वजह से वह दिन भर ठेले पर सब्जी बेचते थे और उसके साथ ही वह रात में अपनी पढ़ाई भी किया करते थे। और अपनी पढ़ाई की प्रेक्टिस के लिए बीच-बीच में वो कोर्ट भी जाया करते थे।
घर की इतने खराब हालात और इतनी सारी जिम्मेदारी होने के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी। और अपनी तैयारी की। इसी दौरान शिवाकांत जी की शादी हो गई। उनकी पत्नी एक प्राइवेट स्कूल में टीचर थीं। और जब उन्होने अपने पति के स्ट्रगल को देखा तो वह भी अपने पति का साथ देने लगी।
कडी मेहनत से जज की परीक्षा में हासिल की रैंक
अपनी मां का जज बनने का सपना पूरा करने के लिए शिवाकांतजी ने जज बनने की पुरा मन बना लिया और उसी की तैयारी में लग गये। शिवाकांत जी ने सिविल जज की बनने के लिए परीक्षा देनी स्टार्ट कर दी। लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटे। वह परीक्षा की तैयारी भी करते और साथ ही सब्जी का ठेला भी लगा कर सब्जी बेचा करते थे।
शिवाकांत कुशवाहा एडवोकेट को सिविल जज बनने पर बहुत-बहुत बधाई pic.twitter.com/iUvBhcaDHt
— raghuvansh Singh (@raghuvanshbjp) May 11, 2022
जब शुरूआत में उन्होंने सिविल जज का एग्जाम दिया तो उनके हाथ में सफलता नहीं लगी और वह असफल हो गए। फिर इसके बाद वह फिर से असफलता को पीछे छोड़ कर आगे सफलता प्राप्त करने में लग गये। लेकिन असफलता ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और इसी परीक्षा में वह एक के बाद एक 4 बार असफल हुए।
पांचवे प्रयास में मिली सफलता
4 बार असफलता मिलने के बाद भी शिवाकांत जी का जोश कम नहीं हुआ और हिम्मत ना हारते हुए अपनी मेहनत जारी रखी। उनकी पत्नी बताती है, कि सफलता प्राप्त करने के शिवाकांत दिन में 24 घंटों में से 18 घंटे पढ़ाई करने लगे थे। ताकि उन्हें इस बार सफलता प्राप्त हो जाय।
फिर पांचवी बार जब वह सिविल जज की पीरक्षा मे शामिल हुए तो इस बार का रिजल्ट देख कर वह अपने आंसूओं को रोक नहीं पाये। रिजल्ट देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए। ओबीसी वर्ग में शिवाकांत ने पूरे मध्य प्रदेश में सेकेण्ड रैंक हासिल कर लिया था। और वह अपनी मां का सपना पूरा करने में कामयाब हो गये थे।
मध्य प्रदेश में सब्जी का ठेला लगाने वाला युवक बना सिविल जज, आपको भी कुछ कर गुजरने के लिए मजबूर कर देगी शिवाकांत कुशवाहा ये कहानी pic.twitter.com/jGq1Bz0AkG
— Main Uddin (@mainuddinassam) April 30, 2022
सब्जी का ठेला लगाने वाले शिवाकांत जी की यह कहानी बहुत ही मोटिवेशनल हे। जीवन में इतने कठिन दौर से गुजरने के बावजूद कुछ कर दिखाने की उनकी चाहत ही उन्हें उनके इस मुकाम पर ले आई है। उनकी इस सफलता के लिए हम उन्हें बधाई देती है।



