
Patna: आज भारत की बात करें तो आप सब जानते हैं की भारत एक कृषि प्रधान देश है, आज भारत के व्यापार में कृषि का अपना बहुत बड़ा हाथ है, इंडिया से एक्सपोर्ट की बात करें तो 50 प्रतिशत तो कृषि की ही देन है, इसके अलावा औद्योगिक खेती जैसे जूट हो गया, सूती और कपास ये भी भारत से एक्सपोर्ट में लगभग 20 प्रतिशत का योगदान करते हैं।
आज भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का बहुत बड़ा योगदान है, ये मान लेना चाहिए की खेती भारत की अर्थव्यवस्था में रीढ़ की हड्डी का काम करती है। ऐसा कहा जाता है, भारत में कृषि का दौर सिंधु घाटी की सभ्यता से आया है। इसके बाद 1960 में हरित क्रांति से एक नया दौर आया और 2007 आते आते इंडिया की इकॉनमी में सकल घरेलु उत्पाद (जीडीपी) का 16.6 प्रतिशत हिस्सा हो गया।
आज कृषि में स्वरोजगार के बहुत अवसर हैं जैसे, आप बागवानी कर सकते हैं, डेरी और पोल्ट्री फॉर्म खोल सकते हैं, खाद्य विज्ञानं सीख सकते हैं, जीव विज्ञान, चाय के बागान और कॉर्पोरेट स्तर भी बहुत कुछ सीख कर इस क्षेत्र में आगे बढ़ा जा सकता है।
आइये ऐसे ही हम बात करते हैं, एक ऐसे इंसान की जिन्होंने कृषि में व्यापार के अवसर को पहचाना और एक नयी मिसाल पेश की, हम बात कर रहे हैं, पटना जिले की जो की बिहार की राजधानी मानी जाती है, पटना से लगभग 35 किलो मीटर दूर खुशरूपुर के बेनीपुर एरई गाँव के एक इंसान देवानंद सिंह (Devanand Singh) जिन्होंने मेंथा की खेती (Mentha Farming) करना आरम्भ की और देखते ही देखते अच्छी खासी कमाई (Good Income) करने लगे।

आज उनकी साल भर की इनकम 15 से 20 लाख रूपए हो जाती है, उन्होंने एक ऐसी मिसाल पेश की की हर कोई किसान इन्हे देख के आगे बढ़ रहा है। उन्होंने अपनी बैंक की अच्छी खासी नौकरी (Bank Job) छोड़ दी और कृषि में व्यापार के अवसर को पहचानते हुए खेती शुरू की कितने ही किसानों ने मेंथा नाम तक नही सूना था।
इसकी खेती की पूरी ट्रेनिंग देवानंद सिंह ने सेन्ट्रल मेडिसिन रिसर्च सेंटर लखनऊ से ली। उन्हें खेती करते हुए 10 साल से भी ज्यादा बीत गए हैं। पिता की देहांत के बाद उन्होंने अपने गांव जा के मेंथा की खेती (Mentha Cultivation) करने का फैसला किया, जिसके लिए उन्होंने लगभग 8 एकड़ ज़मीन से इसकी शुरुआत की।
मेंथा के बारे में आगे और जानते हैं, मेंथा से तेल निकलने के लिए देवनंद सिंह ने घर पर ही इसकी मशीन खरीदी और एक एकड़ ज़मीन की खेती में लगभग 70 से 80 लीटर तेल निकला जा सकता है, जबकि इसकी कीमत 1300 से 1500 रूपए प्रति लीटर है।
इसके तैयार होने की पूरी अवधि लगभग 3 महीने की है। अच्छी बात ये है की खेती में कोई जानवर भी नहीं घुसते वे दूर ही रहते हैं इस से नुकसान भी नहीं होता। मेंथा के तेल का इस्तेमाल शैम्पू साबुन दर्द निवारक तेल दर्द निवारक क्रीम म मलहम दर्द निवारक दवाइयां आदि बनाने मे किया जाता है। आज बड़ी बड़ी कंपनी देवानन्द सिंह से मेंथा ऑयल खरीद के ले जाती हैं। जिसकी बहुत ज़्यादा डिमांड होती जा रही है।
देवानंद सिंह ने मेंथा की खेती के साथ कृषि में अन्य कई काम शुरू किये उन्होंने देखा यहाँ बिहार में प्लाय वुड फैक्ट्री से लोग प्लाई वुड खरीदने हरियाणा जाते हैं। बस फिर क्या था उन्होंने अपने ही लगभग 2 एकड़ की ज़मीन में पॉपुलर के पेड़ लगाए जिस से प्लाई वुड बनती है और कंपनी को सप्लाई करना शुरू कर दिया।
आज देवानंद मेंथा और प्लाई वुड के अलावा और भी कई तरह के काम कर रहे हैं जैसे गाय पालन और उसके साथ के सारे काम फिर मछली पालन शुरू किया इसके बाद मौसमी सब्जी और फलों की खेती आरम्भ की प्याज की खेती शुरू की जिसमे उन्हें बड़ा फायदा हुआ।
देवानंद के पास शुरुआत में 14 एकड़ ज़मीन हुआ करती थी। बाद में अच्छी आमदनी के चलते उसने 8 एकड़ ज़मीन और खरीद ली देवानंद के पढाई करने के बाद बैंक की नौकरी छोड़ने के बाद उसके खेती के अनुभव से सीखते उसके बेटे सुधांशु ने भी सिविल डिप्लोमा कर के खेती में ही अपना करियर बनाया और अपने पिता से मिली सीख और अनुभव के चलते वह आसपास गांव के लोगो को सीखने लगा कृषि में स्वरोजगार के लाभों के बारे में बता कर जागरूक करने लगा।
ऐसा करते करते किसके बारे में हर जगह बातें होने लगी और वह सभी में लोकप्रिय भी हो गये। इसके साथ हि गांव के लोगो ने मुखिया चुनाव में उसको मुखिया बना दिया आज वह भी गांव में खेती या अन्य हर मामलो में ध्यान दे कर नयी नयी तकनीकी के माध्यम से सबकी मदद करता है।
आज हर कोई इंसान भारत में कृषि के क्षेत्र में स्वरोजगार शुरू कर सकता है। जिस से जुडी ट्रेनिंग भी उपलब्ध है। ज़रूरत है तो अपने काम के प्रति लगन और मेहनत की और अपने साथ साथ अपने आस पास के लोगो की भलाई भी करते जाओ।



