
Bahraich: कंपोस्टखाद खेती में इस्तेमाल होने वाला सबसे बढ़िया और जैविक खाद होता है। कंपोस्टखाद जो सूखी पत्तियों, गोवर और खेत की बची हुई अवशिष्ट से तैयार होता है। जिसे हम एक जगह इकट्ठा करके 8-9 महीने के लिए छोड़ देते हैं और वह स्वयं ही गल कर कंपोस्ट खाद (Compost Khad) बन जाता है।
आज हम बात करने जा रहे हैं, एक ऐसी पद्धति की जिसमें हम कंपोस्ट खाद मात्र 18 दिन में बना कर तैयार करते हैं। इस्तेमाल में यह खाद उस खाद जो हम 8-9 महीने में तैयार करते हैं, उससे बहुत बेहतर है।
इसे तैयार करने के लिए हम हैं, तीन प्रकार की सामग्री चाहिए। जिसमें बायोडिग्रेडेबल सूखा कचरा और हरा कचरा या हरी पत्तियां और तीसरी सामग्री है गाय का गोबर। इसे बनाने के लिए हम तीनों को 3:2:1 के अनुपात में इस्तेमाल करते हैं।
जिसमें तीन भाग हम सूखे कचरे को हम जमीन पर गोलाकार में बिछा देते हैं। उसके ऊपर हरा कचरा या हरी पत्तियां उसके आधे अनुपात में बिछा देते हैं और उसके ऊपर हम गाय के गोबर को। उसके बाद हम नमी रखने के लिए थोड़ा सा पानी का छिड़काव करते हैं।
जिससे कंपोस्ट खाद (Compost Manure) में नमी बनी रहे, यही पद्धति हम पांच से सात वार अपनाते हैं। तो हमें एक मीनार जैसी आकृति प्राप्त होती है। उस मीना जैसी आकृति को हम प्लास्टिक चीज से कवर कर देते हैं। जिससे उसमें गर्मी पैदा हो सके और खाद बन सके।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ने बताया बर्कले विधि खाद बनाने का एक गर्म तरीका है। वहीं पर अगर हम अपने पुराने तरीके से कमपोस्ट बनाते हैं। तो हमें 6 से 8 महीने का समय लगता है। वहीं पर बर्कले विधि से कंपोस्ट हम 18 दिन में बना सकते हैं और साल में सात से आठ बार कंपोस्ट बना सकते हैं।
पुरानी विधि से कंपोस्ट बनाने के लिए हमें गोबर की ज्यादा आवश्यकता होती थी, लेकिन बर्कले पद्धति में गोबर की मात्रा सामग्री के 1/6 के अनुपात में ही चाहिए होता है। इसे बनाने के लिए कच्चा माल जैसे सूखा कचरा हमें आसपास से मिल जाता है और हरा कचरा पेड़ों की पत्तियां टहनियां तथा खेत में उगी हुई खरपतवार का इस्तेमाल करके, हम इसे आसानी से बना सकते हैं।
यह मिट्टी की स्थिरता और उर्वरक को बढ़ाता है। इस खाद्य गुणवत्ता को जांचने के लिए हम रंग, नमी और तापमान और गंध के मापदंडों का इस्तेमाल करते हैं। नकवी जी का मानना है, कि अभी हम इस खाद का परीक्षण कर रहे हैं। वास्तविक प्रभाव को समझाने के लिए हमें कम से कम 3 साल तक इस खाद का इस्तेमाल करके इसके फायदे बता सकते है।
किसान खुद कर रहे अपने खेतों में परीक्षण
खाद का परीक्षण बर्कले खाद का परीक्षण गांव के किसान अपने खेतों में कर रहे हैं। बहराइच जिले के उर्रा गांव के किसान रामवती ने अपने खेत में लौकी लगाई हुई है। उन्होंने अपने खेतों को दो भागों में बांट दिया है, जिसमें एक भाग में वह बर्कले खाद का प्रयोग तथा दूसरे की भाग में नियमित तोर पर इस्तेमाल किए जाने वाले खाद का कर रही है और इसका प्रभाव देख रही है। रामवती जी ने बताया बर्कले खाद का इस्तेमाल जिस भाग में किया उस भाग के पौधे स्वस्थ तथा दूसरे भाग की तुलना में ज्यादा बड़े हुए हैं।
खाद बनाने में है कुछ चुनौतियां
बर्कले खाद को बनाना इतना आसान भी नहीं है, क्योंकि शुरुआती 4 दिनों में इसकी संरचना को बदलने के लिए लोगों की जरूरत होती है। जब तक यह खाद 18 दिनों में तैयार ना हो जाए गर्मियों के समय में हरा चारा पर्याप्त मात्रा मैं नहीं होता। जिसकी आवश्यकता खाद बनाने में पढ़ती है।
वहीं दूसरी ओर बरसात के मौसम में हमें सुखा कचरे को ढूंढना मुश्किल पड़ता है और खाद को पानी से भी बचाना होता है। मीरा कुमारी (Meena Kumari) बहराइच जिले के उर्रा गांव की 32 वर्षीय किसान, जिन्होंने इस साल जनवरी में बर्कले खाद तैयार कर लिया, लेकिन उसके बाद वह खाद तैयार नहीं कर सकी। क्योंकि गर्मियों में हरे चारे की कमी हो जाती है।
किसानों को भी हो रहा फायदा
बहराइच (Bahraich) जिले के मिहिन्पुरवा ब्लाक के गांव की 33 वर्षीय समुदाय कार्यकर्ता सीमा जिनके पास 1 एकड़ जमीन है। वह इस जमीन को गर्मियों के मौसम में भी हरा भरा रखती हैं और खेत में कई प्रकार की जैविक सब्जियां उगाते हैं। वह पिछले 9 महीने से अपने घर पर ही बर्कले खाद बना रही है।
Barkale Khad Is Good For Farming pic.twitter.com/eWvN4NG39c
— sanatanpath (@sanatanpath) June 17, 2022
अपनी खेती में इस्तेमाल कर रही हैं। उनका मानना है कि यह खाद पद्धति बनाना बहुत ही लाभदायक है, जिसका लाभ वह प्राप्त कर रही हैं। उसी के साथ साथ वह दूसरी महिलाओं को भी बर्कले पद्धति से कंपोस्ट खाद बनाने की सलाह और ट्रेनिंग भी देती है। वह अपने खेत में बर्कले खाद का प्रयोग करके लौकी और भिंडी जैसी सब्जी लगाती है।
ट्रांसफार्म रूरल इंडिया फाउंडेशन की तरफ से एक मिशन के तहत लोगों को बर्कले कंपोस्ट (Berkeley Compost) बनाना सिखाया जा रहा है। सीमा ने बताया के बर्कले खाद (Barkale khaad) बनाना पहले, तो कठिन लगा, बाद में ट्रेनिंग और मार्गदर्शन के बाद अब हम माहिर है बर्कले खाद बनाने मे।



