यूसुफ़ ने मशरूम की खेती में महारथ हासिल की, ऐसे कम्पोस्ट तैयार करके मशरूम उत्पादन करते हैं

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Mushroom Farming Una
Yusuf Khan started Khan Mushroom Farm and Training Centre in Himachal. Yousuf doing mushroom farming after resigning from government job.

Photo Credits: Khan Mushroom Farm

Una: गेहूं, चना, सोयाबीन जैसी परंपरागत फसलों की जगह इस किसान ने एक नई तरह की फसल की खेती कर सबको रोजगार भी दिया। भारत में एक बड़ी आबादी रोजगार की तलाश में दूसरे जगह में भड़क रही है। अपना घर बार छोड़कर लोग दूसरे शहर में नौकरी करने को मजबूर है।

पहाड़ी राज्य उत्तराखंड (Uttrakhand) की स्थिति भी इससे अलग नहीं है। किसी को अपने सपनो की जॉब मिल जाती है, तो कोई सपनो को पीछे छोड़ वापस अपने घर लौट जाता है। लेकिन हम आज आपको ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे है, जिनसे अपने सपनो को सच कर दूसरों को रोजगार भी दिया।

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के ऊना (Una) ज़िले के नंगल सालंगरी गाँव के निवासी युसूफ खान अपने किसान भाई के साथ मिलकर मशरूम की खेती (Mushroom Farming) में सफलता हासिल की युसूफ (Yusuf) ने अपनी सफलता अपने तक ना रखी, बल्कि पूरे हिमाचल के किसान भाइयों को उन्होंने खुद प्रशिक्षण दिया। उनके प्रशिक्षण संस्थान में हजारो की तादात में किसान भाई और नव युवक आते है, उनसे प्रशिक्षण लेने।

परिश्रम ही सफलता की कुंजी है, यह बात पहाड़ो में बसे किसान भाई युसूफ ने इसे सही साबित भी किया है। पहाड़ी क्षेत्र के बहुत से किसान भाई बेहतर अवसर के लिए शहर की तरफ आते है और मशरूम की खेती उनके लिए सुनहरा मौका था।

खान के प्रशिक्षण संस्था

यूसुफ़ (Yusuf Khan) कृषि विज्ञान के विद्यार्थी थे, अपनी पढाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपने ही गांव में 2000 मशरूम उत्पादक के लिए यूनिट लगाई और उनको सफलता प्राप्त हुई, इस सफलता से प्रभावित होकर, उन्होंने अपने प्रशिक्षण संस्था खोले और किसान भाइयो को प्रशिक्षण देना शुरू किया।

उन्होंने अपने प्रशिक्षण संस्था का नाम ख़ान मशरूम फ़ार्म एंड ट्रेनिंग सेंटर (Mushroom Farm and Training Centre) रखा। युसूफ एक किसान परिवार (Farmer Family) के बेटे थे साथ ही उनको कृषि कार्य में बहुत आनंद आता था।

हजारों की संख्या में दिया किसानों को प्रशिक्षण

युसूफ ने इस तकनीक को हजारों किसानों को सिखाई जिससे वह भी अपनी जीवन शैली को सरलता से चला पा रहे है, मशरूम एक उच्च प्रोटीन उक्त उत्पाद है, इसका खपत भी बहुत है। लोग मशरुम बहुत चाव से खाते हैं।

यूसुफ़ के प्रशिक्षण संस्था का प्रमुख उद्देश्य मशरूम की खेती और खपत को बढ़वा देना है। उन्होंने न केवल मशरूम का उत्पादन (Mushroom Production) किया, बल्कि सब्जी की खेती की एरोपोनिक्स तरीके से टमाटर और खीरे की खेती की।

खाद का निर्माण कर बड़े स्तर में किया बटन मशरूम का उत्पादन

गेहूं के भूसे के साथ सूरजमुखी केक और कपास के बीज का रो मटेरियल के रूप में उपयोग किया। इस मटेरियल से नाइट्रोजन और जिप्सम तत्वों को स्टोर किया जाता है। खाद निर्माण की शुरुआत गेहू के भूसे से होती एक किलोग्राम भूसे में करीब 6 लीटर पानी की जरुरत होती है।

इस पानी को 12 दिनों तक भूसे में थोड़ी थोड़ी मात्रा में डाला जाता है। खाद के निर्माण के लिए 75 से 800 सेल्शियस टेम्प्रेचर की आवश्यता होती है। खाद निर्माण में करीब 12 दिन का समय लगता है। इसके बाद सामान्य तापमान पे रखा जाता है।

फिर इसे पॉश्चराइजेशन चेंबर में 58 से 600 सेल्शियस पर 8 से 12 दिन तक रखा जाता है। इस प्रक्रिया से नाइट्रोजन अमोनिया में बदल जाती है। मशरूम का मुख्य पोषक तत्व है। युसूफ मिल्की और बटन मशरूम का उत्पादन ज्यादा करते है।

उपलब्धियां

‌युसूफ को कई पुरुस्कार भी मिल चुके है। प्रगतिशील किसान पुरुस्कार 2006 में दिव्य हिमाचल द्वारा दिया गया। साल 2010 में CSKHP पालमपुर यूनिवर्सिटी द्वारा ‘कृषि उद्यमी पुरस्कार’ मिला। पूरे भारत में मशरूम एसोशियन द्वारा उन्हें ‘एक्सीलेंट मशरूम ग्रोअर’का अवॉर्ड।

यूसुफ़ ख़ान कहते है कि उपलब्ध चीज़ों का सही इस्तेमाल कर हर व्यक्ति कामयाबी पा सकता है। आगे वे कहते है कि एग्रीकल्चर ग्रेजुएटस कृषि से जुड़े और उसको बढ़ावा दें, जिससे गांव के किसान भाइयों की मदद के साथ रोजगार में बढ़ोतरी हो सके।

अगर आप भी युसूफ जी ने मशरूम की खेती सीखना चाहते हैं, उन्हें इस मेल पर INFO@KHANMUSHROOM.COM ईमेल कर सकते हैं और इस नंबर 9418178839 पर कॉल भी कर सकते हैं। यह मेल और नंबर ‘खान मशरुम’ (Khan Mushroom) की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है।

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