दो भाई नहीं बन सके एकाउंटेंट और इंजीनियर, आज खड़ा किया 10 हजार रु से 150 करोड़ का टर्नओवर

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Agrawal Brothers Business
Success story of Sachin and Sumit Agarwal in battery business. Agarwal brothers are running a company with a turnover of Rs 150 crores.

File Photo

Bengaluru: परिश्रम करने वाले लोगों के साथ भगवान भी खड़े रहते हैं। तब इंसान चाहें तो पहाड़ को तोड़कर भी रास्ता बना सकता है। फिर आपका बचपन केसी भी परिस्थितियों में गुजरा हो आपकी अपनी योग्यता और कठिन परिश्रम के बल पर सम्भवतः सफलता (Success) प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन परिश्रम के साथ साथ जीवन मे सब्र भी अवश्यक है, वर्ना कारोबार (Business) अन्य किसी क्षेत्र में भी मुँह के बल गिर सकता है।

काफी संघर्षों भरा रहा अग्रवाल बंधुओं का बचपन

कोई नहीं जानता था कि 15 वर्ष पूर्व वितरण श्रृंखला के तौर पर हुई एक छोटी शुरुआत आने वाले वक़्त में एक बड़े कारोबारी साम्राज्य का रूप ले लेगी। लेकिन हाँ, अग्रवाल बंधुओं (Agarwal Brothers) ने कठिन परिश्रम और कभी न हार मानने वाले जज़्बे की दम पर उस छोटी श्रृंखला को 150 करोड़ के एक ब्रांड में परिवर्तित करने में सफल रहे।

एक साधारण परिवार में जन्मे सचिन अग्रवाल (Sachin Agarwal) और सुमित अग्रवाल (Sumit Agarwal) ने सफलता का जो साम्राज्य स्थापित किया, वह सच में प्रेरणादायक हैं। उनके पिता, जे.पी. अग्रवाल (J. P. Agarwal) ने विभिन्न प्रकार के व्यवसायो में अपनी तकदीर आजमाई, लेकिन परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने से बेहतर और कुछ न कर सके। सचिन बचपन से ही होशियार बच्चे थे, कक्षा के सर्वेक्षण विद्यार्थि हुआ करते थे।

सचिन का सपना चार्टर्ड एकाउंटेंट बनना था

युवावस्था की स्मृतियों को स्मरण करते हुए सचिन बताते हैं, शुक्र है कि हमें हमारे नजदीक के लोगों ने हमेशा, आप कुछ बड़ा करोगे जैसे वाक्यों के साथ आशीर्वाद दिया और मुझे लगता है कि वह मेरे पक्ष में काम किया।

सचिन का सपना चार्टर्ड एकाउंटेंट बनना था और उनके भाई सुमित का एक आईआईटी इंजीनियर। हालाँकि, वित्तीय परिस्थितियों की वजह से वे दोनों अपने ख्वाबों को पूरा नहीं कर सके। परन्तु, उन्हें इस बात से यह हौसला जरूर मिला कि वह अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने की दिशा में अवश्य काम करेंगे। नए विचारों और नई आशाओं के साथ उन्होंने आगे बढ़ने का निर्णय लिया।

पहले महीने उन्हें केवल 10000 रुपये की आमदनी

हर बड़ी चीजों का प्रारंभ छोटे स्तर से ही होता है। इसी सोच के साथ उन्होंने वर्ष 2006 में माइक्रोटेक और एक्साइड (Microtek and Exide) जैसी बैटरी के वितरण का व्यापार शुरू किया। पहले महीने उन्हें केवल 10 हज़ार रुपये की आमदनी हुई। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने व्यापार को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से परिश्रम करते रहे।

इसी दौरान, तमिलनाडु को विद्युत कटौती के एक मुख्य मुद्दे का सामना करना पड़ा और इससे बैटरी इनवर्टर जैसी वस्तुओं की विक्री बढ़ी। फिर साल 2013 में, उन्होंने लुमिनयस बैटरी (Battery) का विक्रय प्रारंभ किया। बैंगलोर में एक आउटलेट के साथ शुरू किया, लेकिन ग्राहकों की मांग को देखते हुए जल्द ही 6 आउटलेट्स खुल गए।

कस्टमर को अच्छी सर्विस देना पहली प्राथमिकता

सचिन और उनके भाई 15 वर्षो से बैटरी वितरण के कारोबार में हैं। उनकी कामयाबी की कुंजी ब्रांड के विक्रेता और ग्राहकों की समस्याओं को सुलझाने का है। उनके अनुसार यदि कोई उभरती परेशानियों को हल नहीं कर रहा है, तो कोई भी कारोबार विस्तृत तौर पर स्थापित नहीं हो सकता। उन्होंने अलग-अलग ब्रांड से गठजोड़ किया, परेशानियों पर शोध के लिए अनेक राज्यों का सफर कीये और निवारण भी खोजा, चाहे वह निर्माता हो या ग्राहकों से संबंधित।

व्यपार की हर प्रकार की बारीकियों को बेहद नजदीक से देखने और समझने के बाद उन्होंने अपना स्वम का बैटरी ब्रांड बाजर में लेकर आने का निर्णय लिया। रेडॉन नाम से यह बैटरी ब्रांड (Battery Brand) सीधे तौर पर उपभोक्ताओं हेतु उपलब्ध है।

उन्होंने वितरण श्रृंखला में वक़्त और धनराशि व्यर्थ करने की जगह सीधे उपभोक्ताओं तक अपनी पहुँच बनाई। आज के समय में उनका कारोबार 150 करोड़ के आसपास है और दोनों भाई आने वाले समय में इसे 1000 करोड़ तक ले जाने की ओर कार्यरत हैं।

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