लोगो ने नेत्रहीन बच्चे को कहा बेकार, उसी ने करोड़ों की कंपनी बनाकर दिया जवाब: Success Story

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Blind Srikanth Bolla
He is Srikanth Bolla, young blind entrepreneur from Hyderabad. Meet Srikanth Bolla, born blind to a poor farmer blind student and is now the founder and CEO of Bollant Industries.

Hyderabad: लोग कहते हैं की यदि कोई दिव्यांग है, तो वह जीवन में बेकार हो गया और कुछ नहीं कर पायेगा। फिर लोग, रस्तेदार और पड़ोसी साड़ी जिंदगी ताने देते रहते है। कई बार तो इंसान इन तानों से ही टूट जाता है और कुछ नहीं कर पाता है। आंध्र प्रदेश के सीतापुर में जन्मे श्रीकांत बोला (Srikanth Bolla) ने ऐसे लोगो को सॉलिड जवाब दिया है, जो की बचपन से ही दृष्टिहीन (Blind) है।

बोला एक बहुत ही कॉमन और परिवार से आते हैं। उनकी फॅमिली की आर्थिक स्थिति इतनी ख़राब थी। यहांतक की उनकी पारिवारिक आय महीने की केवल 1600 रुपए थी। इतने कम आये वाले परिवार में जन्मा बच्चा दिव्यांग था। इस परिस्थिति में श्रीकांत का परिवार काफी दुख के समय से गुजर रहा था।

श्रीकांत की फॅमिली के रिश्तेदारों ने उन्हें सलाह दी कि यह बच्चा बड़ा होकर आपके ऊपर बोझ बन जाएगा, क्योंकि यह कोई काम भी कर सकेगा और इस बच्चे को मार देना ही सही है। इसके उलट श्रीकांत के परिवार ने उन्हें पालने का निर्णय किया और पाल पोस कर बड़ा किया।

उन्हें नार्मल बच्चों की तरह ही पालने का निर्णय लिया

श्रीकांत के माता पिता ने उन्हें नार्मल बच्चों की तरह ही पालने का निर्णय लिया और उन्हें गांव की एक स्कूल में एडमिशन दिलवा दिया। श्रीकांत स्कूल में नार्मल बच्चो की तरह ही जाय करते थे। स्कूल स्टाफ को श्रीकांत के नेत्रहीन होने के चलते उनसे कोई खास उम्मीद नहीं थी, फिर भी श्रीकांत ने सभी को हैरान करते हुए सामान्य विद्यार्थियों की तुलना में अधिक अच्छा प्रदर्शन किया था।

स्कूल में श्रीकांत को लास्ट वाली बेंच पर बिठाया जाता था। स्कूल के भीतर बच्चे श्रीकांत का मजाक भी बनाते थे, परंतु सभी को इग्नोर करते हुए श्रीकांत अपनी पढ़ाई करते गए और दसवीं क्लास में श्रीकांत ने 90% अंक हासिल किये, तो सभी हैरान हो गए।

श्रीकांत को एडमिशन देने से इंकार कर दिया

बता दें की 10th के बाद श्रीकांत ने 12th के लिए साइंस सब्जेक्ट में एडमिशन लेने का फैसला किया। परंतु जिस स्कूल में साइंस में एडमिशन लेने के लिए पहुंचे उन्होंने दृष्टिहीन (Blind) होने के चलते श्रीकांत को एडमिशन देने से इंकार कर दिया। श्रीकांत ने एडमिशन ना देने के कारण स्कूल प्रशासन पर केस कर दिया।

फिर लगभग 6 महीने केस चलने के बाद अंत में स्कूल प्रशासन को श्रीकांत को अपने यहां एडमिशन देना पड़ा। स्कूल प्रशासन ने यह शर्त रखी कि किसी प्रयोग करने के दौरान यदि श्रीकांत के साथ कोई दुर्घटना होती है, तो इसके जिम्मेदार श्रीकांत खुद होंगे। स्कूल की सभी शर्तों को एक्सेप्ट करते हुए श्रीकांत ने एडमिशन लिया और इतना ज़बरदस्त प्रदर्शन किया कि 12वीं कक्षा में श्रीकांत को 98% अंक हासिल हुए।

अमेरिका के एमआईटी में एडमिशन मिल गया

कुछ समय में श्रीकांत पढ़ाई में इतने योग्य हो चुके थे कि 12वीं कक्षा में इतने अच्छे अंक प्राप्त करने के बाद उन्हें अमेरिका के एमआईटी में एडमिशन मिल गया। श्रीकांत अमेरिका की MIT में दाखिला लेने वाले पहले भारतीय नेत्रहीन स्टूडेंट बन गए थे।

एमआईटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद श्रीकांत को अमेरिका की अनेक कॉरपोरेट कंपनियों में जॉब के ऑफर मिले, परंतु श्रीकांत ने उन सभी जॉब ऑफर को मना कर दिया। श्रीकांत की इच्छा थी की उनकी योग्यता का सही उपयोग केवल उनके देश के लिए हो। इसलिए श्रीकांत ने एमआईटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत का वापस आने का निर्णय लिया।

खुद की कंपनी बनाई और सफल हुए

वापस भारत आने के बाद श्रीकांत ने साल 2012 में बौलैंट इंडस्ट्री (Bollant Industries) नाम से कंजूमर फूड पैकेजिंग कंपनी की नीव रखी। यह कंपनी पत्तियों से और इस्तेमाल किए गए कागज से इको फ्रेंडली पैकेजिंग बनाती है। साल 2012 से अभी तक जो कंपनी 20% वार्षिक दर से ग्रो कर रही हैं। श्रीकांत के द्वारा स्थापित की गई इस कंपनी ने आंध्र प्रदेश तेलंगाना सहित 7 अन्य जगहों पर अपना यूनिट स्थापित कर दिया है।

हालिया समय में श्रीकांत की इस कंपनी “Bollant Industries” का टर्नओवर साल का 200 करोड रुपए है। साल 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक इस कंपनी की वैल्यू 413 करोड रुपए आंकी गई थी। श्रीकांत ने अपनी कंपनी की स्थापना के बाद कंपनी में कई दिव्यांग लोगों को नौकरी दी। इस कंपनी में करीब लगभग 15000 वर्कर काम करते हैं।

बता दें की साल 2021 में श्रीकांत को फ़ोर्ब्स ने 30 अंडर 30 एशिया नाम का अवार्ड भी दिया था। यह अवार्ड 30 वर्ष से कम आयु वाले उन युवाओं को दिया जाता है, जिन्होंने अपने क्षेत्र में काफी सफलता प्राप्त की है। श्रीकांत उन 3 भारतीयों में शामिल थे जिन्हें फोर्स के द्वारा यह अवार्ड दिया गया था। श्रीकांत ने अपनी मेहनत और लगन की दम पर उन लोगो को जवाब दिया, जिन्होंने उसे बेकार समझा था।

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