Shimla: जैसा कि हम सब जानते हैं आज मशरूम की खेती (Mushroom Farming) किसानों में बहुत लोकप्रिय है, बाजार में मशरूम की कीमत हमेशा से अच्छी रही है ये 250 से 300 रुपये प्रति किलो तक आसानी से बिकता है और आज मशरूम को स्वाद से खाने वाले कस्टमर्स दिन पे दिन बढ़ते ही जा रहे, जिससे इसकी खेती का क्रेज भी बढ़ रहा, ज्यादतर स्मार्ट किसान इसे अपने पारंपरिक खेती के साथ साथ कर रहे हैं।
दरअसल मशरूम की खेती (Mushroom Ki Kheti) के लिये अलग से किसी खास तरह के खेत की जरूरत नही होती बल्कि इसे एक छोटे से किसी कमरे में भी आसानी से पर्याप्त मात्रा में उगाया जा सकता है, इसलिए किसान अपनी खेती, पशुपालन या मछलीपालन के साथ साथ भी कर रहे हैं।
आज हम आपसे चर्चा करने वाले हैं एक खास मशरूम की जिसे गुच्छी या मैजिकल मशरूम भी कहा जाता है इसकी कीमत सुन के निश्चय ही आपको चक्कर आ जायेंगे, ये बाजार में 30,000 रुपये किलों तक बिक रहा, आइये जानते हैं गुच्छी मशरूम क्या है, इसके फायदे और खेती की जानकारी।
पहले जानते हैं मशरूम क्या है और इसकी डिमांड क्यों बढ़ रही दिनों दिन
आपको जानकर हैरानी होगी कि मशरूम न तो कोई सब्जी है ना पौधा न ही ये किसी फल की कैटेगिरी में आता है, वास्तव में मशरूम एक तरह का फंगस होता है, जो खाने में टेस्टी होने के साथ साथ बहुत ही गुणकारी भी है, मशरूम में बहुत रिच विटामिन सी, 40 प्रतिशत तक प्रोटीन, 25 प्रतिशत तक कैल्शियम एवं कार्बोहायड्रेट पाया जाता है।
इसके इन्ही औषधीय गुणों के कारण साल भर तक लोग फ्रिज में स्टोर कर खाते रहते हैं, जिससे इसकी डिमांड भी लगातार बनी रहती है, मशरूम खाने से शरीर मे एनर्जी लेवल बढ़ता है, हड्डियां मजबूत होती हैं और ये एन्टी एजिंग का भी काम करता है, अब आप समझ ही गये होंगे कि क्यों लोग मशरूम के इतने दीवाने हैं।
आइये अब जानते हैं भारत के सबसे चमत्कारी गुच्छी मशरूम को
दोस्तों आपको पता ही है कि ज्यादातर औषधियां हिमालय की वादियों और उसकी गोद मे ही प्राकृतिक रूप में फलती फूलती या उगती हैं जिन्हें उगाने की जरूरत नही पड़ती बस जरूरत होती है, उस खास नज़र की जो इन्हें पहचान सके।
इन्ही हज़ारों बेहतरीन औषधियों के खजाने में एक और चमत्कारी औषधीय गुण वाला गुच्छी मशरूम भी पैदा होता है, इसका न कोई बीज होता है ना किसी खाद की जरूरत बल्कि ये प्रकृति के कोमल स्पर्श से जन्म लेता है।
Look who Is back & that too second year in a row#Gucci ( exotic wild morel mushroom) in our garden at #Pahalgam pic.twitter.com/dk9cAu4tQH
— Asif Iqbal Burza (@aiburza) April 23, 2020
हिमालय की जब बर्फ पिघलती है, तो उसी दौरान वहां की खास क्लाइमेट कंडीशन एवं बादलों के बीच स्वतः ही उगता जाता है, गुच्छी मशरूम (Gucchi Mushroom) के औषधीय गुणों की वजह से दिल के मरीजों के लिये बहुत ही फायदेमंद होता है।
यूरोप के बड़े बड़े देशों में है गुच्छी मशरूम की डिमांड
हिमालय की वादियों के अलावा गुच्छी मशरूम कुल्लू शिमला मनाली चम्बा जैसे हिमाचल के कई हिस्सों में प्रकृतीक रूप से पाया जाता है। इसकी इतनी सारी और स्ट्रांग औषधीय गुणों की वजह से ही अंतरराष्ट्रीय देशों में गुच्छी मशरूम की डिमांड बढ़ी है।
morchella esculenta locally known as gucchi, Cheyeun
What do you call it ?#morchellaesculenta#mushroom #wildmushroom #edible #shimla #kotkhai #himalayanbounty #natural pic.twitter.com/PlixpG6uhq— varun chaudhary 🇮🇳 (@O_arra_) May 6, 2021
इसकी डिमांड के मामले में खासकर यूरोप के स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी, फ्रांस, इटली एवं अमेरिका जैसे देशों में डिमांड बानी रहती है, इसी वजह से इसकी कीमत 30 हज़ार रुपये प्रति किलो तक मिलती है, इसी कारण यहां के स्थानीय और औषधि के जानकार लोग फरवरी से अप्रैल महीने के बीच इसे ढूंढने के लिये जंगलों में निकल जाते हैं।
अब खेतों में भी उगाया जा सकेगा गुच्छी मशरूम को जिससे किसानों को होगा बड़ा फायदा
वैसे तो गुच्छी मशरूम हिमालय के बर्फ के पिघलते हुए पानी एवं बादलों की वजह से स्वयं ही तैयार होता है ये मशरूम पर अब खुशखबरी है कि हिमालय एवं हिमाचल के किसान इसे खेतों में ही एक खास क्राइटेरिया के जरिये खेती कर सकेंगे।
This #Gucci is made in Heaven!
Rare Wild Morel Mushroom found in the forests of #Jammu & #Kashmir pic.twitter.com/rf9WRhcEdk
— Asif Iqbal Burza (@aiburza) November 23, 2019
जानकारी के अनुसार भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत काम करने वाली संस्था मशरूम अनुसंधान निदेशालय, सोलन ने गुच्छी मशरूम पर कई वर्षों तक रिसर्च की। साल 2021 में मशरूम अनुसंधान निदेशालय के वैज्ञानिकों ने इसकी कृत्रिम खेती करने में सफलता हासिल कर ली है।
जल्द ही हिमालय के स्थानीय लोगो को इसकी कृतिम खेती की शिक्षा एवम साधन उपलब्ध करवाने की व्यवस्था बनाई जाने लगी है, अगर आप भी हिमालय या उसके करीबी प्रांतों से हो तो इस खेती के बारे में जरूरी प्लानिंग करें।




