
Photo Credits: Twitter
Sangli: भारत एक कृषि प्रधान देश हैं। भले ही पेट्रोल-डीज़ल ना मिले चलेगा, परन्तु अन्न और भोजन ना मिले तो नहीं चलेगा। भारत में सेना के ज़वान के साथ ही साथ किसान का भी बराबर सम्मान है। देश के लिए सुरक्षा और भोजन दोनों ही सबसे जरुरी चीज़ें है। भारत की जनता में अधिकतर लोगो का मुख्य पेशा खेती है।
किसान हमारे भोजन के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। इतनी मेहनत और देख लेख के बाद भी उन्हें अपनी फसल का उचित मूल्य नहीं मिलता है। सभी मुश्किलों, अकाल, भारी बरसात, दुर्भाग्य और कम संसाधनों चलते कभी-कभी ऐसी स्थिति बन जाती है कि किसान निराश और हताश हो जाता है।
ऐसे में कुछ किसान अपनी कमाई बढ़ाने के लिए अपने लेवल पर कई प्रकार के प्रयोग और रिसर्च कर अपनी खेती और स्थिति हो बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं। कुछ सफल होकर दूसरों को भी प्रेरित करते हैं। ‘एक नंबर न्यूज़’ की यही कोशिश रहती हैं की आप तब ऐसे लोगो को जानकारी पहुंचाई जायें।
आज हम ऐसे ही एक किसान के बारे में बता रहे है, जिन्होंने अपने प्रयोग से पारंपरिक खेती को बदल दिया है। यह किसान साल 2005 से 2017 तक लगातार 1000 क्विंटल गन्ना प्रति एकड़ का उत्पादन कर रहा है। यह हर साल 1 करोड़ तक की उपज दे रहा है। इससे इन्हे लाखों का मुनाफा भी हुआ है।
महाराष्ट्र (Maharashtra) की मायानगरी मुंबई से 400 किलोमीटर दूर सांगली (Sangli) जिले के वालवा के करंदवाड़ी निवासी किसान सुरेश कबाडे (Farmer Suresh kabade) ने 19 फीट गन्ने (Sugarcane) का उत्पादन करके सभी को हैरान कर दिया है।
अब इनसे खेती की यह तकनीक सीखने के लिए पूरे महाराष्ट्र के अलावा कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश के किसान आ रहे हैं। यह किसान मात्र 9वीं पास हैं। इसके उलट बढे लिखे लोग भी आज इनसे सीखना चाहते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि पडोशी मुल्क पाकिस्तान के भी कई किसान इसकी खोजी गई किसानी तकनीक जानता चाहते हैं। अन्य किसानों की तुलना में सुरेश की गन्ने की फसल भी खास। सुरेश ने जो गन्ना उगाया है, वह अन्य अन्न फसल की तुलना में 19 फीट लंबा है और इसका वजन 4 किलो तक भी चला जाता है। यह तो कमाल ही हो गया।
Suresh Anna Kabade: King of Sugarcane Farming
Happy Birthday Anna!!
This Farmer is known for amazing Sugarcane Farming. The yeild of Sugarcane is more than 100 Tonnes from his fields. The modern farming approach coupled with hard work is the key.
Salute to this #LegendFarmer. pic.twitter.com/oj6DbHQVbN— Shashi Pandhare (@PandhareShashi) January 21, 2019
महाराष्ट्र जैसे प्रदेश में, जहाँ बार बार सूखा पढ़ता हो, वहीँ सुरेश गन्ने की खेती (Ganne Ki Kheti) करके 50-60 लाख रुपये प्रति वर्ष कमाते हैं, जबकि हल्दी और केले की खेती को भी मिला दिया जाये, तो एक वर्ष में 1 करोड़ रुपये कमा ले रहे हैं।
साल 2015 में उन्होंने एक एकड़ गन्ना और बीज 2 लाख 80 हजार में बेचा है। साल 2016 और 2017 में एक एकड़ गन्ने के बीज 3 लाख 20 हजार में बेच दिए हैं। अन्न राज्यों के बाहर के किसान उनसे बीज खरीदने आते हैं। उससे भी इन्हे बहुत मुनाफा हो रहा है।
सबसे खास बात यह है की किसान सुरेश किसी वैज्ञानिक की तरह खेती करते हैं। वे अपने खेत में प्रति एकड़ 300-400 क्विंटल उत्पादन किया करते थे, लेकिन जब उन्हें अहसास हुआ की, वे और अच्छा कर सकते हैं, तो उन्होंने अपनी खेती का तरीका बदल दिया।
अब वे बहुत सारे जैविक और हरे उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं। इकोबैक्टर और पीएसबी और पोटाश (पूरक बैक्टीरिया) का उपयोग कर रहे हैं। वे गन्ना बोने से पहले उस खेत में एक चना उगाते है, जिससे की उन्हें समय और मौसम बराबर याद रहता है।
Quality of sugarcane seed….
Thanks to @suresh_kabade for providing us such wonderful material pic.twitter.com/X2l10jtRne— Dr. Ankush Chormule (@Anku_chormule) October 3, 2020
सुरेश ने एक अख़बार को बताया की ‘अब मैंने टिशू कल्चर से गन्ना उगाना आरम्भ किया है। मेरे इलाके में एक केला टिश्यू कल्चर फर्म है। मैं चाहता हूं कि वह मेरे खेत के सबसे अच्छे गन्ने से उत्पाद बनाए। जिससे मैं 3 साल तक फसल काटता हूं।’ टिश्यू कल्चर का यह मतलब है कि किसी एक पौधे की कोशिकाओं को खास परिस्थितियों में प्रयोगशाला में रखा जाता है, जो खुद ही रोग मुक्त होने और अपने जैसे अन्य पौधों का उत्पादन करने की कैपेसिटी रखते हों, फिर उन्हें बाद में इस्तेमाल किया जाता है।
Farmer from Islampur (Sangli) is using sprinkler for sugarcane crop @suresh_kabade pic.twitter.com/8GgdYLsoY5
— अभिजीत मुरलीधर देवरे (@AbhijitMDeore1) September 27, 2021
सुरेश इसके लिए लैब को करीब 8,000 रुपये देते हैं, इसलिए F-3 मिलने के बाद मुझे वह गन्ने का बीज मिलता है, जिससे फसल की बहुत अच्छी पैदावार होती है। उनका कहना है कि किसी भी फसल के लिए जमीन और अच्छे बीज का होना बहुत जरूरी है।
वे खुद बीज बनाते हैं। खेतों की अच्छे से देखभाल करते हैं। बराबर खाद और की सिचाई करते हैं। इससे सुरेश 9-11 महीने तक फसल को बीज के लिए खेत छोड़ देते है। गन्ने को 16 महीने तक खेत छोड़ दिया जाता है। फिर फसल लहराने लगती हैं।




