किसान को खेती में घाटा पड़ा, तो मधुमक्खी पालन शुरू किया, कम लागत पर होने लगी भारी कमाई

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Bee Keeping
Beekeeping gives well income to Gaya farmers. Success story of Beekeeping business. Honey selling business gives well income.

Gaya: हमेशा ही किसान को परंपरागत खेती करने से फायदा नहीं होता है। हम जानते है कि परंपरागत खेती (Farming) में आजकल होने वाली लागत उससे होने वाली कमाई (Earning) से ज्‍यादा होती है। हर चीज में महंगाई काफी बढ़ चुकी है।

ऐसे में खेती करना भी बिजनेस (Business) के समान हो गया है। जिसमें परंपरागत खेती में तो नुकसान की संभावना आजकल ज्‍यादा होती है। इसलिए आज का किसान परंगरागत खेती के अलावा भी वह मौके ढूँढता है जिससे उसे अधिक मुनाफा कमाने का मौका मिल सके।

ऐसे में जैविक खेती करना, पॉली हाउस का निर्माण करना, पशुपालन करना इत्‍यादि भी किसान की पसंद बन रहा है। चूँकि परंपरागत खेती घाटे का सौदा होता है ऐसे में अगर किसान कोई अलग से काम विकल्‍प के तौर पर करता है तो उसके लिये यह फायदेमंद होता है।

मधुमक्‍खी पालन (Bee keeping) कर किसान ने कमाये लाखो रूपये

आज की हमारी कहानी वह किसान की है जिसने मधुमक्‍खी पालन (Madhumakkhi Palan) को खेती के एक विकल्‍प के तौर पर देखा। इसे करके उसने काफी मुनाफा भी कमाया। वैकल्‍पिक खेती के तौर पर मधुमक्‍खी पालन को देखा जाये तो किसान की आय बढ़ाने मे यह एक बेहतर विकल्‍प है।

Money Presentation Photo.

इसके लिये सरकार की तरफ से भी काफी मदद किसानो को प्रदान की जा रही है। मधुमक्‍खी पालन किसानो के लिये एक ऐसा विकल्‍प है, जिसमे वह हर साल लगभग 10 लाख तक की कमाई आसानी से कर सकता है।

बिहार के गया में मधुमक्‍खी पालन का बढ़ गया है क्रेज

आज की कहानी बिहार के गया में रहने वाले एक किसान चितरंजन दास की है। जिसने मधुमक्‍खी पालन को वैकल्पिक खेती के तोर पर करके अपनी आय में कई गुना की बढ़ोत्‍तरी की। इस किसान को देखकर अन्‍य भी मधुमक्‍खी पालन को इंटरेस्‍ट लेकर कर रहे है। जिससे गया में इसका क्रेज बढ़ते ही जा रहा है।

मधुमक्‍खी पालन से इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन जो हो रहा है, उसे नियंत्रित करने में सहायता मिल रही है। इससे होने वाले जलवायु को फायदे और मुनाफे को देखकर अब बिहार सरकार भी मधुमक्‍खी पालन को बढ़ावा दे रही है।

सरकार देती है अनुदान, प्रशिक्षण भी लेना होता है अनिवार्य

इसके लिये बिहार सरकार 50 से लेकर 90 प्रतिशत तक का अनुदान किसान को प्रदान कर रही है। इस व्‍यवसाय को करने में किसान अगर इंटरेस्‍टेड है, तो प्रशिक्षण संस्‍थान से वह प्रशिक्षण भी ले सकता है।

यह प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंन्‍द्र में उन्‍हें मिलता है। वैसे तो प्रशिक्षण लेना ही इस व्‍यवसाय के लिये सही होगा। प्रशिक्षण के बाद बॉक्‍स खरीदना आवश्‍यक होता है क्‍योंकि मधुमक्‍खी को बॉक्‍स में ही पाला जाता है। इसकी कीमत 4000 रूपये होती है।

किसान हर साल कमाते है 8 से 10 लाख रूपये

मधुमक्‍खी पालन को करके किसान काफी मुनाफा प्राप्‍त कर पाते है। किसान चितरंजन जोकि इस व्‍यवसाय से जुड़े है वह बताते है कि यह व्‍यवसाय मुनाफे के लिये सबसे अच्‍छा है, क्‍योकि बहुत ही कम लागत पर इसे आसानी से शुरू किया जा सकता है।

वह बताते है कि एक बॉक्‍स खरीदकर लगभग 30 किलो शहद आसानी से निकाला जा सकता है। एक ही बॉक्‍स में इतना शहद (Honey) आपको मिलता है, तो आप अंदाजा लगा सकते है कि इससे कितना ज्‍यादा आपको मुनाफा होगा।

Money

मार्केट में मधुमक्‍खी का एक किलो शहद 250 से 300 रूपये किलो तक बिकता है। चितरंजन जी बताते है कि वह 15 साल से मधुमक्‍खी पालन के व्‍यवसाय से जुडे है, वह हर साल 8 से लेकर 10 लाख कमा लेते है।

अधिक उपज प्राप्ति में मधुमक्‍खी होती है सहायक

जूलॉजी सब्‍जेक्‍ट से पीएचडी स्‍कॉलर मो. दानिश ने रिसर्च करके यह भी बताया कि मधुमक्‍खी जलवायु में होने वाले परिवर्तन को नियंत्रित कर सकती है। वह बताते है कि मधुमक्‍खी अगर हमारे आसपास हो, तो यह हमारे लिये काफी अच्‍छा होता है।

मधुमक्‍खी प्रकृति के एक वरदान की तरह है। यह किसान की उपज बढ़ाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है। क्‍योंकि अगर परागण मधुमक्‍खी ज्‍यादा नही करती है, तो फल तथा बीज अधिक नही होते है, जिससे हमें किसी भी पोधे या फिर फसल से ज्‍यादा उत्‍पाद नहीं मिलता है। इसलिए अगर इसका पालन हो तो परागण क्रिया अधिक होगी। जिससे अधिक उत्‍पादन प्राप्‍त करने में किसान को सहायता मिलती है।

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