
Mahendragarh: ऐसा कहा जाता है कि किताबी ज्ञान से ज्यादा अनुभवी ज्ञान महत्वपूर्ण होता है। किताबी ज्ञान से केबल किताबों के अंदर का ज्ञान प्राप्त होता है, परंतु यदि वास्तविक ज्ञान है, तो वह व्यक्तिगत ज्ञान होता है। दोस्तों यूपीएससी की परीक्षा को पास करने के लिए 30 किताबी ज्ञान तो 70 प्रतिशत अनुभवी ज्ञान याने व्यक्तिगत ज्ञान का होना बेहद जरूरी है।
हर साल लाखों की संख्या में युवा यूपीएससी की परीक्षा (UPSC Exam) में बैठता है, परंतु सफलता कुछ ही लोगों को प्राप्त हो पाती है। इसका कारण यह है कि लोग किताबों से ज्ञान अर्जित कर रहे हैं, परंतु जो वास्तविक ज्ञान है। उसमें कहीं ना कहीं वे मात खा जा रहे हैं। यूपीएससी की परीक्षा भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है।
इस परीक्षा में मुख्यतः तीन चरण होते हैं, इन तीनों चरण में सफल होने के बाद ही आप एक आईएएस अधिकारी या आईपीएस अधिकारी कहलाते हैं। इस परीक्षा की खास बात यह है कि यदि आप एक भी चरण में फेल हो गए, तो आपको दोबारा अनुभव के साथ शुरू करना पड़ता है।

दोस्तों आज हम आपको एक ऐसे आईएएस अधिकारी (IAS Officer) के संघर्ष की गाथा सुनाने वाले हैं, जिन्होंने नौकरी के साथ यूपीएससी की तैयारी की हफ्ते में केवल 2 दिन ही पढ़ पाती थी। उसके बाद यूपीएससी की परीक्षा को पास कर उन्होंने एक इतिहास रचा है।
जाने आईएएस अधिकारी देवयानी के बारे में
रिपोर्ट के अनुसार देवयानी सिंह हरियाणा (Haryana) राज्य के अंतर्गत आने वाले महेंद्रगढ़ (Mahendragarh) की रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा चंडीगढ़ के एक प्रसिद्ध स्कूल से की। कक्षा 12वीं की पढ़ाई के बाद उन्होंने वर्ष 2014 में बिट्स पिलानी के गोवा कैंपस से इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया।
दिव्यानी सिंह (IRS Devyani Singh) शुरू से ही पढ़ाई में काफी तेज थी। इसीलिए उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने के विषय में सोचा। दिव्यानी के यूपीएससी की तैयारी करने की एक और खास वजह थी, वह यह कि उनके पिता भी एक सिविल सेवक थे।
उनके पिता विनय सिंह हिसार में संभागीय आयुक्त के पद पर कार्यरत थे। अपने पिता को देखकर दिव्यानी को उनकी तरह देश के लिए कार्य करने का जुनून आ गया था। देवयानी कहती है कि उनके पिता उनके लिए एक आदर्श है। उन्हीं की बदौलत वह इस फील्ड में खुद को सफल बना पाए हैं।
तीसरे अटेंड के बाद हुई सफल
अक्सर एक दो बार असफल होने के बाद अभ्यार्थी डिमोटिवेट होकर इस कार्य को छोड़कर किसी और कार्य में आगे बढ़ने लगता है। परंतु देवयानी तीन प्रयास के बाद भी असफल रही। पहले और दूसरे प्रयास में पहले ही चरण में फेल हो गई। परंतु तीसरे प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंची परंतु इंटरव्यू में फेल हो गए।
अपने लक्ष्य के इतने करीब होकर वापस लौटने के बाद लोग और भी ज्यादा डिमोटिवेट हो जाते हैं, परंतु देवयानी मैं एक बार फिर प्रयास किया और चौथे प्रयास में उन्हें 222 वी रैंक प्राप्त हुई और वे ए आर एस के लिए चयनित हैं। उन्होंने वर्ष 2015 16-17 लगातार तीन वर्षों तक प्रयास किया इंटरव्यू राउंड तक वे वर्ष 2017 में पहुंचे उसके बाद उन्होंने 1 साल का गैप लिया और वर्ष 2019 में वे चयनित हुई।
पांचवें प्रयास में बनी आईएएस अधिकारी
चौथे प्रयास में उन्होंने 222 वी रैंक हासिल की और सेंट्रल ऑडिट विभाग के लिए प्रशिक्षण प्रारंभ किया। दिव्यानी का सपना आईएएस अधिकारी बनना था, इसीलिए बेरुखी नहीं जॉब के साथ-साथ उन्होंने यूपीएससी की तैयारी दोबारा प्रारंभ किए और पांचवें प्रयास में उन्हें ग्यारहवीं रैंक प्राप्त हुई और वे आईएएस अधिकारी के लिए चुनी गई।
देवयानी का कहना है कि पूरे मन से की गई मेहनत समय जरूर देती है, परंतु सफलता निश्चित हो जाती है। आगे कहती है कि यूपीएससी में सफलता पाना अपने आप में एक बहुत बड़ा अचीवमेंट है, इसीलिए यूपीएससी की तैयारी आसान भी नहीं यूपीएससी की परीक्षा समर्पण और मेहनत का नतीजा होता है।
हफ्ते में 2 दिन की मेहनत और मॉक टेस्ट का है नतीजा
अक्सर लोग कहते हैं कि अच्छी सफलता के लिए उन्हें 8 से 10 घंटे की मेहनत करनी पड़ती है, परंतु देवयानी का कहना है यदि आप 1 घंटे भी पढ़ रहे हैं और पूरे मन लगाकर पढ़ रहे हैं, तो आपके लिए यह सफलता पाना काफी आसान होगा। उन्होंने जितनी भी पढ़ाई की वह टेंशन फ्री होकर गंभीरता से पढ़ाई की। उन्होंने कोई समय निश्चित नहीं किया कि हमें इतने समय तक पढ़ाई करना है।
उनका कहना है कि सेंट्रल ऑडिट विभाग में कार्य करने के दौरान उनके पास पढ़ाई करने के लिए कोई समय नहीं बचता था, इसीलिए वे शनिवार रविवार जो उनके छुट्टियों के दिन होते थे, तब पढ़ाई करती थी। देवयानी 2 दिनों में ज्यादा से ज्यादा मॉक टेस्ट लगा दी थी साथ ही रोजाना अखबार पढ़ती थी और लिखने पर फोकस करती थी। उनके लिए मॉक इंटरव्यू कारगर साबित हुए।





