IIM से पढ़े और गोल्ड मेडलिस्ट शख्स ने सब्जी का स्टार्टअप शुरू किया, अब करोड़ों रुपये कमा रहा है

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IIM topper Kaushlendra
IIM topper Kaushlendra started vegetables selling and become millionaire. An IIM Topper From Bihar Became A Vegetable Vendor.

Ahmedabad: बचपन से हम सब एक ही बात सुनते आए हैं, पढ़ो लिखो और नौकरी करो बुजुर्गों की यह बात एक हद तक सही बैठती थी। जीवन की गणित में उनका सोचना यह था, कि अगर बच्चे नौकरी करेंगे, तो कम से कम इतना तो कमा ही लेंगे कि अपना परिवार चला सके, पर यह बात 20 के दशक में ठीक बैठती थी।

आज 21वीं सदी में दो समस्याएं सामने आई है, पहला तो नौकरी ही आसानी से नहीं मिलती और दूसरा मिल भी गई, तो उससे जीवन यापन बेहतर ढंग से हो सके, इसकी कोई संभावना नहीं दिन पर दिन बढ़ती खर्चे और महंगाई इंसान की कमर तोड़ देती है, इसलिए देखने में आया है, पिछले कुछ सालों में युवाओं के अंदर उनके स्टार्टअप को लेकर एक नया जोश है।

आज हर कोई आईडिया की बात कर रहा है वह सोचते हैं कोई ना कोई ऐसा काम करें, जिससे एक बड़ी कंपनी खड़ी करके करोड़ों कमा सकें, ऐसे ही एक सोच वाले सफल इंसान से हम आपको आज मिलाने वाले हैं, आखिरी तक आज यह स्टोरी आपको मोटिवेशन से भर देगी।

बिहार के साधारण से गांव में जन्म लिया इस असाधारण व्यक्तित्व ने

आज इस शख्स की हम बात कर रहे हैं, उनका नाम कौशलेंद्र है, यह बेसिकली बिहार (Bihar) के अंतर्गत आने वाला एक बहुत ही ऐतिहासिक शहर नालंदा (Nalanda) है और इसी के अंतर्गत मोहम्मदपुर गांव के रहने वाले हैं कौशलेंद्र।

भले ही वह गांव में पैदा हुए और उनकी शुरुआती एजुकेशन भी गांव में ही हुई परंतु वह शुरू से एक सोच रखते थे की नौकरी लेने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बनना चाहिए, तो पढ़ाई के साथ-साथ उनके अंदर एक सफल एंटरप्रेन्योर की सोच डिवेलप हो चुकी थी। यही वजह है कि आई आई एम से ग्रैजुएट करने के बाद भी उन्होंने सब्जी जैसे व्यापार को चुना क्योंकि यह जानते थे कि प्रोडक्ट कोई भी हो बिजनेस बड़े स्केल में होना चाहिए।

सरकारी स्कूल से आईआईएम अहमदाबाद तक का सफर

आपको बताना चाहेंगे कि कौशलेंद्र (Kaushlendra From Bihar) की पढ़ाई शुरू से गांव की स्कूलों में ही हुई। उन्होंने अपनी 10वीं 12वीं के एजुकेशन नवोदय विद्यालय से पूर्ण की एवं इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग के लिए दाखिला लिया, जूनागढ़ में इंडियन काउंसलिंग ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च में अर्थात करोड़ों की कंपनी खड़ी करने वाले व्यक्ति की बेसिक एजुकेशन सरकारी स्कूल और कॉलेज में हुए।

इसके बाद चूंकि बिजनेस की फील्ड में आगे बढ़ना था इसलिए उन्होंने एमबीए करने की प्लानिंग की और इसके लिए उन्होंने भारत के सबसे बड़े मैनेजमेंट स्कूल टारगेट किया, जिसे हम आईआईएम (IIM) के नाम से जानते हैं।

निश्चय हो आई आई एम में एडमिशन लेना बहुत कठिन है, ऊपर से अहमदाबाद कॉलेज में एडमिशन तो और भी कठिन होता है और आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने न केवल अहमदाबाद आईआईएम (IIM Ahmedabad) से एमबीए किया, बल्कि गोल्ड मेडलिस्ट (Gold Medalist) भी बने।

व्यापार में सब्जी को ही क्यों चुना अपना कोर प्रोडक्ट

बात चीत के दौरान कौशलेंद्र से पूछा गया कि जहां लोग इतनी बड़ी डिग्री लेने के बाद किसी मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी (Job) करके सुकून की जिंदगी बिताने का रास्ता चुनते हैं। ऐसे में आपने व्यापार तो चुना ही, ऊपर से सब्जी का व्यापार।

इस बारे में उन्होंने बताया की, गुजरात में MBA के दौरान उन्होंने देखा कि बहुत सारे मजदूर गुजरात से सही जॉब ना होने की वजह से पलायन कर जाते थे और किसान इतनी मेहनत करने के बाद भी सही प्लेटफॉर्म के अभाव में गरीब ही बना हुआ है।

इसलिए उन्होंने यह फैसला लिया कि जॉब लेने वाला नहीं, जॉब देने वाला बनूंगा और क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है, तो क्यों ना हम सब्जी से जुड़े हुए व्यापार को आगे बढ़ाएं ताकि आम किसान एंपावर हो सके।

आज जरूरत है कौशलेंद्र जैसे सोच वाले लोगों

हर कोई पढ़ लिखकर नौकरी ही ढूंढेगा, तो रोजगार कभी पूरे नहीं हो पाएंगे, इसलिए आज युवाओं को भी कौशलेंद्र (Kaushlendra) से प्रेरणा लेनी चाहिए कि हम नौकरी लेने नहीं, बल्कि देने वाले बने ज्यादा से ज्यादा अपने आइडियाज पर काम करने की जरूरत है, ताकि एक बिजनेस ऑनर बनके हम ना केवल खुद को कोई अच्छा लेवल देंगे, बल्कि दूसरों के लिए भी जॉब क्रिएट कर पाएंगे।

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