एक दिव्यांग पिता ने अपनी बिटिया को पढ़ाया-लिखाया, वही बेटी पुलिस अफसर बनकर सम्मान दिला रही

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Laxmi Gadhveer
Laxmi Gadhveer Sub Inspector in Rajasthan police motivational success story in Hindi

Barmer: कहते हैं पूरे मन से की गई मेहनत कभी खाली नहीं जाती। सफलता उन्हीं को मिलती है, जिनके हौसलों में मेहनत और समर्पण की उड़ान होती है। किसी चीज को पाने के लिए यदि इरादे मजबूत होते हैं तो हर मुश्किल एक तरफ हो जाती है और रास्ता खुद व खुद बनने लगता है।

कुछ ऐसा ही साबित कर दिखाया है राजस्थान (Rajasthan) के बाड़मेर (Barmer) जिले की एक बिटिया ने जो अपने समाज में पहली बिटिया सब स्पेक्टर है और अपने कंधे पर राजस्थान पुलिस के 2 स्टार सजाए हुए हैं। यह कहानी है राजस्थान राज्य के बाड़मेर जिले की रहने वाली मेघवाल समाज की पहली बिटिया सब इंस्पेक्टर लक्ष्मी गढवीर (Laxmi Gadhveer) की।

तस्वीर में देखा जा सकता है कि लक्ष्मी जब सब इंस्पेक्टर (Sub Inspector) बन कर खाकी वर्दी में अपने घर आई तो अपना पहला सेल्यूट अपने माता पिता को किया। तो आइए आज हम इस पोस्ट के माध्यम से लक्ष्मी गढवीर की सफलता के बारे में विस्तार से जानेंगे।

लक्ष्मी के संघर्ष भरे दिन

राजस्थान राज्य का बाड़मेर जिला एक सरहदी जिला कहलाता है जिले के मंगले गांव के बैरी इलाके की रहने वाली लक्ष्मी गढ़वीर ने अपना जीवन काफी संघर्ष के साथ गुजारा है। जीवन के संघर्षों और चुनौतियों से लड़ते-लड़ते आगे बढ़ी। लक्ष्मी के पिता नेत्रहीन है, जिससे उन्हें काफी सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लक्ष्मी के दो भाई हैं।

उन्होंने सब इंस्पेक्टर बन कर अपने समाज, जिला, और माता पिता का नाम बनाया। सब इंस्पेक्टर से पूर्व वह एक कॉन्स्टेबल भी रह चुके हैं उन्होंने कक्षा 12वीं की पढ़ाई पूरी कर पुलिस भर्ती परीक्षा दी और वर्ष 2011 में कांस्टेबल के लिए चुनी गई।

प्रशिक्षण के पश्चात उन्होंने अपने आगे की पढ़ाई अपनी ड्यूटी के साथ जारी रखी। उनकी पढ़ाई पर समाज के लोगों ने ढेरों बातें बनाएं, परंतु उन बातों का उन पर कोई फर्क नहीं पड़ा। उन्होंने ग्रेजुएशन में B.A. और मास्टर में M.A. किया, इसके बाद प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी।

9 वर्ष का कठोर संघर्ष

लक्ष्मी को इस सफलता के लिए 9 वर्ष जितना लंबा सफर तय करना पड़ा इसके बाद वे आज राजस्थान पुलिस सब इंस्पेक्टर के लिए चुनी गई। इसके बाद उन्होंने अपने सब इंस्पेक्टर के लिए प्रशिक्षण लिया और कुछ ही समय पहले ही एक समारोह के दौरान उन्हें खाकी वर्दी के साथ राजस्थान पुलिस के दो सितारे उनके कंधे पर देखे गए। अपने समारोह के बाद वे अपने घर पहुंची तो अपने माता पिता को अपने इस सफलता का श्रेय देते हुए दोनों के सामने सेल्यूट किया।

मेघवाल समाज की पहली बिटिया बनी सब इंस्पेक्टर

लक्ष्मी गढ़वाल राजस्थान के बाड़मेर जिले की मेघवाल समाज की पहली महिला सब इंस्पेक्टर है। उन्होंने अपने समाज के लिए वह किया है जो किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा। लक्ष्मी सब इंस्पेक्टर बन कर अपने गांव के गलियारों से गुजर रहे थे, तब उनके समाज के लोग उन्हें देखकर हैरान रह गए पूरे गांव में खुशी का माहौल है और उनका परिवार भी खुशी में झूम रहा।

लक्ष्मी के बड़े भाई मुकेश गढ़वाल कहते है कि उन्होंने काफी कम शिक्षा प्राप्त की परंतु उनकी बहन काफी होशियार थी इसीलिए खुद पढ़ाई छोड़ कर उसको पढ़ाया और आज जब वह सब इंस्पेक्टर बनकर घर लौटी तो एक अलग ही माहौल बन गया है।

इस बिटिया ने नारी शक्ति को प्रदर्शित किया

लक्ष्मी के नेत्रहीन पिता और दोनो भाई गांव में एक झोपड़ी में रहते है। लक्ष्मी भी इसी घर में पली-बढ़ी और अपनी शिक्षा प्राप्त की। आज जब वे सब इंस्पेक्टर बनी तो उन्होंने उन सभी बहन बेटियों को साबित किया है कि नारी शक्ति किसी से कम नहीं है और ना ही वह किसी अपर्याप्त से डरती है।

मेघवाल समाज की पहली महिला जिसने गांव से निकलकर बाहर की दुनिया देखी और कॉन्स्टेबल से शुरू किया भविष्य, आज सब इंस्पेक्टर बन कर नया आयाम कायम किया। लक्ष्मी की सफलता ने उन लोगों को प्रेरित किया है जो अपर्याप्तता का रोना रोते हैं। आर्थिक स्थितियों से लड़कर ही आज वे खरा सोना बनी।

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