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Nalanda: देश के एक राज्य बिहार में लोग कुछ ना कुछ खास करते ही रहते हैं। बिहार (Bihar) के लोगो में प्रतिभा भरी पड़ी है। कभी दुनिया को सबसे पहली पाठशाला या यूनिवर्सिटी देने वाला बिहार का शहर नालंदा एक बार फिर खास हो गया है। यहाँ के लोगो ने एक खास चीज़ तैयार की है।
बिहार के प्राचीन शहर नालंदा (Nalanda) में गाय के गोबर से पेंट बनाया जा रहा है। इस काम का आरम्भ नालंदा के एकंगरसराय प्रखंड के तेलिया बीघा गांव के रहने वाले संजय कुमार (Sannjay Kumar) ने किया है। अपने गांव में ही छोटा सा यूनिट सेट करके पेंट बनाने का काम कर रहे हैं। अब यह यूनिट एक प्लांट (Plant) का रूप ले चुका है।
उनका यह प्लांट अब खादी इंडिया (Khadi India) द्वारा प्रधानमंत्री एंप्लॉयमेंट जेनरेशन प्रोग्राम (PMEGP) के तहत काम कर रहा है। गाँव क्षेत्रों में गरीब जनता को रोजगार मुहैया करवाने की योजना के तहत यह प्लांट लगवाया गया है।
अब इस यूनिट में 1 दिन में 4000 लीटर पेंट बनाने की क्षमता है, परन्तु हालिया समय में यहां 2000 लीटर पेंट डेली बनाया जा रहा है। अभी के समय में इस यूनिट में गांव के कुल 4 लोगों को रोजगार दिया गया है। आसपास के गांव से गाय के गोबर (Cow Dung) को खरीदा जाता है, जिससे पशुपालकों को भी आमदनी हो रही है।
गाय के गोबर से बने पेंट (Cow Dung Paint) में संक्रमण, जीवाणु और फंगस को रोकने की कैपेसिटी होती है। गर्मी के दिनों में तेज़ धुप और गरम हवा को भी रोकने की क्षमता होती है। इसे बनाने में किसी भी केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है।
घरों में पेंट के होते समय जो दुर्गन्ध और एलेर्जी होती है, वह भी इस गोबर पेंट से नहीं होती। इसका कारण किसी भी केमिकल और विषैले पदार्थ का इस्तेमाल ना होना है। गाय के गोबर से बने पेंट को ‘अष्ट लाभ’ (Ashta Labh) का भी नाम दिया गया है। यह पर्यावरण के अनुरूप है।
सबसे अच्छी बात यह है की यह गोबर पेंट (Gaye Ke Gobar Ka Paint) बाज़ार में मिलने वाले रसायनिक पेंट से काफी सस्ता है। बता दें की इस पेंट को बनाने के लिए सबसे पहले गाय के गोबर को एजिटेटर में गोबर और पानी को बराबर मिलकर डाल दिया जाता है।
Shri. Nitin Gadkari, Union Minister for MSME launched an innovative product called “Khadi Prakritik Paint”, which is India’s first cow dung based paint. This eco-friendly non-toxic paint is a first-of-its-kind product, with anti-fungal, anti-bacterial properties. 1/2 pic.twitter.com/ZUaYoGr2ls
— Ministry of MSME (@minmsme) January 14, 2021
फिर इसे ट्रिपल डिस्क रिफाइनरी में डाल दिया जाता है। यह सेलरी में डाला जाता है। इस सेलरी में टालक और कैल्शियम कंपोनेंट डालकर पेंट का प्रथम बेस बनाया जाता है, फिर इमल्शन और डिस्टेंपर बनाया जाता है। 1 लीटर पेंट बनाने में लगभग 30 से 40 प्रतिशत गाय के गोबर का इस्तेमाल होता है। जलरोधक और टिकाऊ होता है।
Union Minister @nitin_gadkari launches Khadi Prakritik paint- India’s first cow dung paint – developed by @kvicindia
Based on cow dung as its main ingredient, the paint is cost-effective and odorless, and has been certified by Bureau of Indian Standardshttps://t.co/e9EwHl9Mkn pic.twitter.com/9DUDTMZPLb
— PIB India (@PIB_India) January 12, 2021
इसमें ख़ास तौर पर गाय का गोबर ही इस्तेमाल किया जाता है। घर की दीवारों और ज़मीन पर गोबर के लेप लगाने की प्राचीन पद्धति से सीख लेकर पर्यावरण को सपोर्ट करने वाला खादी प्राकृतिक पेंट तैयार किया है। प्राचीन समय से ही इस गोबर लीपने की पद्धति को मॉर्डन उत्पादों में नया लुक देकर प्राकृतिक कलर बनाया गया है।
@kvicindia द्वारा निर्मित गाय के गोबर से बना प्राकृतिक पेंट हमारे ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। यह पेंट बनाने की तकनीक मैं सार्वजनिक कर रहा हूं। हमारा सपना है देश के हर जिले में लोग इसे खुद बनाये।
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— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) March 5, 2021
इस पेंट (Khadi Prakritik Paint) में 8 तरह के फायदे होने के चलते, इसे ‘अष्ट लाभ’ कहा गया है। यह पेंट दीवारों के लिए एक सुरक्षा कवच क्व तौर पर काम करेगा। यह पेंट दिवार पर पोतने के बाद 4 घंटे में सूख जाता है। इसे BIS मानकों द्वारा प्रमाणित कर दिया गया है।



