
Udaipur:राजस्थान (Rajasthan) का उदयपुर जिसे झीलों की नगरी भी कहा जाता है। अपनी सुंदरता और संस्कृति के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। यह शहर राजा रानी के महलों और किलों के लिए जाना जाता है। कहने को तो पूरा राजस्थान राज्य ही अपनी संस्कृति और अपने कला के लिए जाना जाता है, परंतु उदयपुर में एक विशेष चीज है, जो इस शहर की खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ाता है।
हम बात कर रहे हैं उदयपुर (Udaipur) के उस 20 वर्ष पुराने ट्रीहाउस की जो तीन मंजिला है और 20 वर्षों से पेड़ पर बना हुआ है। आपने ऐसे ट्रीहाउस (Tree-house) तो बहुत से देखे होंगे, परंतु यह ट्री हाउस बहुत ही खास है, क्योंकि यह ट्री हाउस सर्व सुविधा युक्त है।
हाउस के अंदर बैडरूम किचन वॉशरूम और एक बहुत ही सुंदर लाइब्रेरी भी है। इस सुंदर से ट्रीहाउस (Tree House) के निर्माता मिस्टर कुलदीप सिंह (Kuldeep Singh) है, जिन्हें लोग के पी सिंह के नाम से जानते हैं। अजमेर के रहने वाले के पी सिंह कुछ वर्षों से उदयपुर में रह रहे हैं।
इन्होंने वर्ष 2000 में एक आम के बड़े से पेड़ पर इस ट्री हाउस का निर्माण किया, उनका उद्देश्य पेड़ को कटाई से बचाना है और एक अच्छा मॉडल समाज के सामने प्रस्तुत करना है। तो आइए आगे के लेख में हम विस्तार पूर्वक जानेंगे कि उन्होंने इस ट्री हाउस को कैसे बनाएं।
जमीन की तलाश कर रहे थे पर आम के पेड़ पर ही घर बना लिया
के पी सिंह बताते हैं कि वर्ष 1999 में वे उदयपुर में घर बनाने के लिए जमीन की तलाश कर रहे थे। तभी वे कंजरो की बाड़ी जा पहुंचे। कंजरो की बाड़ी वह जगह है, जहां पर पहले के समय में लोग फलों के वृक्ष लगाकर उन वृक्षों से प्राप्त फलों को बेचकर अपनी जीविका चलाते थे, परंतु धीरे-धीरे आबादी बढ़ती चली गई और जहां पर फलों के पेड़ हुआ करते थे, वहां से करीब 4000 वृक्षों को काटकर प्लॉटिंग कर दी गई।
जब केपी सिंह प्लॉट के डीलर से मिले, तो उस डीलर ने कहा कि पेड़ों को काटना पड़ेगा। तब केपी सिंह ने कहा कि क्यों ना पेड़ों को काटने की जगह किसी खाली स्थान पर लगा दिया जाए तब प्रॉपर्टी डीलर का कहना था कि इन सब चीजों में काफी ज्यादा खर्चा हो जाएगा।
फिर के पी सिंह बताते हैं कि उनके दिमाग में वृक्ष पर ही घर बनाने का आइडिया आया इस आइडिया को उन्होंने डीलर से शेयर किया, तो डीलर ने उन्हें अनसुना कर दिया। परंतु के पी सिंह ने उसी जगह पर एक प्लॉट खरीदा और वहां पर लगे आम के वृक्ष पर घर बनाने का फैसला किया।
आपको बता दें कि पी सिंह वेल एजुकेटेड व्यक्ति हैं, उन्होंने आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की उसके बाद राजस्थान में ही करीब 7-8 वर्ष बिजली विभाग में जॉब की फिर उन्होंने खुद की एक इलेक्ट्रिसिटी के क्षेत्र में कंपनी शुरू कर दी।
किस तरह बना है घर आइए जाने
के पी सिंह बताते हैं कि उन्होंने इस घर को बनाने में ईट सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि सेल्यूलोज और फाइबर से उन्होंने इस घर के दीवारों का निर्माण किया। आगे भी बताते हैं कि उन्होंने वर्ष 1999 में इस घर को बनाना आरंभ किया था और वर्ष 2000 में यह घर बनकर तैयार हो गया था।
जिस वक्त घर को बनाना शुरू किया गया था, उस वक्त इस वृक्ष की लंबाई करीब 20 फीट ही थी, इसीलिए उन्होंने उस वक्त केवल दो मंजिला मकान ही बनाया था। वे बताते हैं कि उनका घर जमीन से करीब 9 फीट की ऊंचाई पर है और पूरा घर इस बड़े से वृक्ष के तने पर टिका हुआ है।
वे बताते हैं कि धीरे-धीरे वृक्ष की लंबाई बढ़ रही है और 20 वर्षों में इस वृक्ष की हाइट दोगुनी हो गई है, यानी अभी वृक्ष की हाइट करीब 40 फीट है। इसीलिए उन्होंने अपने मकान को तीन मंजिला बना लिया है। बिजली से बचने के लिए उन्होंने वृक्ष के चारों तरफ 4 खंबे बनाए हैं, जिस पर एक खंभा विद्युत परिचालक का बनाया है।
अक्सर बारिश के मौसम में बिजली कड़कती है और बिजली ज्यादातर वृक्षों पर ही गिरती है, बिजली से सुरक्षा के लिए यह खंबा बनाया गया है। स्टील से ढांचा तैयार कर सेल्यूलोज और फाइबर से घर की दीवार छत और फर्स का निर्माण किया गया है।
जमीन से 9 फीट की ऊंचाई पर होने के कारण केपी सिंह ने नीचे जाने और ऊपर आने के लिए रिमोट वाली सीडी का इस्तेमाल किया है। वे बताते हैं कि वृक्ष पर घर होने की वजह से वृक्ष पर रहने वाले पशु पक्षी घर के अंदर आ जाते हैं परंतु अब उन्हें उन पशु पक्षियों के साथ रहने की आदत पड़ गई है।
बिना शाखाओं को काटे बनाया गया है घर
के पी सिंह बताते हैं कि उन्होंने पेड़ की एक भी शाखा को काटा नहीं है, बल्कि पेड़ की शाखाएं उनके किचन और बेडरूम से जाती है। उन्होंने पूरे घर को पेड़ के आकार की तरह ही डिजाइन किया है और पेड़ पौधों की शाखाओं को उन्होंने घर के फर्नीचर के तरह इस्तेमाल भी किया है।
वे उनके घर का नक्शा बताते हुए कहा कि उन्होंने पहली मंजिल पर किचन बाथरूम और डायनिंग रूम की व्यवस्था की है और दूसरी मंजिल पर वॉशरूम लाइब्रेरी और एक रूम निकाला है और थर्ड फ्लोर पर एक ऐसा रूम बनाया गया है, जिसकी छत जरूरत पड़ने पर खोली जा सकती है। उनका कहना है कि कुछ लोग जो ट्रीहाउस का निर्माण करते हैं वह घर के अंदर आने वाली टहनियों को पेड़ से अलग कर देते हैं।
उन्होंने एक भी टहनी को नहीं काटा, बल्कि उनका इस्तेमाल सोफे टीवी स्टैंड आदि जैसी चीजें को बनाने में किया है। साथ ही उन्होंने पेड़ को प्राकृतिक रूप से बढ़ने के लिए हवा पानी और धूप के लिए कुछ जगह छोड़ी है जिससे वृक्ष को जरूरी न्यूट्रिशन मिल सके।
लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में दर्ज है यह ट्री हाउस
के पी सिंह बताते हैं कि उनका यह घर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है। वे कहते हैं कि इतने वर्ष गुजरने के बाद भी आज भी लोग हमारे घर देखने आते हैं और इस घर की तरह ही उनके घर को डिजाइन करने के लिए कहते हैं, परंतु कोई भी अपनी सुविधा को नजरअंदाज नहीं करता इसीलिए वे उन लोगों के लिए घर डिजाइन नहीं कर पाते।
उनका मानना है कि प्रकृति की हर एक चीज को अपनी तरह से रहने का अधिकार है, पेड़ की एक पत्ती भी तोड़ना हमारे लिए एक गुनाह जैसा होना चाहिए। के पी सिंह बताते हैं कि उन्होंने 8 वर्ष तक उस घर में समय गुजारा है परंतु जब उनकी मां बीमार रहने लगी, तो उन्होंने नीचे की तरफ भी एक घर बना लिया है वह उन दोनों घर को काफी ज्यादा इंजॉय कर रहे हैं और हर वर्ष पेड़ में लगने वाले आम को भी पर खूब पसंद करते हैं।



