जिस बेटी को परिवार ने हलके में लिया, उसी बेटी ने UPSC क्लियर कर माता-पिता सम्मान दिलवाया

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Pooja Jha UPSC
Success Story Of Pooja Jha Who Cleared UPSC Exam In 1st Attempt. She secured an AIR of 82 in the UPSC CSE. UPSC Topper Pooja Jha.

Photo Credits: Twitter

Delhi: ये तो पुराने समय से ही चला आ रहा है कि बेटी को बेटे से कम माना जाता है। बेटे को बुढ़ापे की लाठी कहते है और बेटी को पराया धन परंतु लोगो को अब ये समझना जरूरी है कि बेटी बाप के कंधे का बोझ नहीं होती, बल्कि वो भी अपने बूढ़े माँ बाप का सहारा होती है।

जब भी बच्चा कोख में आता है, तभी से ही लोगो की मन्नते शुरू हो जाती है। वे बेटे की चाह में भगवान को भी रिश्वत देने लगते है। आज की नारी सब पे भारी है आज की महिलाओं को कोई कम आंकने की गलती न करे। व्यापार से लेकर बड़ी बड़ी कंपनी और सरकारी विभाग तक को बेटियां चला रही है।

हर दिन कोई न कोई न्यूज़ आती रहती है कि इस शहर की बेटी ने UPSC में टॉप किया, ये बेटी लाखो का व्यापार कर रही। इसके बाद भी अगर लोगो को बेटे की चाह है तो वो इंसान अँधा है। आज की इस पोस्ट में हम बात करेंगे एक ऐसी ही बेटी की जिसे अच्छे से अपने माँ बाप का प्यार भी नहीं मिला और आज उसने अपने माँ बाप का नाम रोशन कर दिया। आइये बात करते है पूजा झा की।

पूजा झा एक आईएएस ऑफिसर की कहानी

कहते है पढ़ाई पूरी निष्ठा से की जाए तो कठिन से कठिन परीक्षा पास की जा सकती है। फिर चाहे वो UPSC की परीक्षा ही क्यों ना हो। आपकी तैयारी तो आपको हमेशा कम ही लगेगा परंतु आपने पूरी ईमानदारी से तैयारी की है, तो आप पहले ही बार में यूपीएससी क्लियर कर सकते है।

पूजा झा (Pooja Jha) भी इन्ही में से एक है जो अपने घर में प्यार के लिए तरसती रही और बेटा बेटी के फर्क में पिसती रही और फर्स्ट अटेम्प्ट में ही यूपीएससी क्लियर कर ली। 2021 की परीक्षा में 82 रैंक प्राप्त कर न केबल सिलेक्शन लिया बल्कि पूरे देश में टॉप कर गई।

पूजा झा उन लड़कियों में शामिल है जिन्होंने अपने ही घर मे लैंगिक समानता के साथ अस्तित्व के लिए लड़ाई लड़ी और यह लड़ाई उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त करके जीत ली। जब पूजा ने इस भेद भाव को देखा, तो उन्होंने खुद का बेहतर भविष्य बनाने के लिये खुद झोक दिया।

वे अपने परिवार को दिखाना चाहती थी की बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं होता और बेटी भी माँ बाप का सहारा बन सकती है। भारत पुरुष प्रधान देश है। और पुरुषों को ज्यादा अहम् दिया जाता है।

पूजा के परिवार के दिल और दिमाग में भी ये बात घर कर गई थी। पूजा ने अपने UPSC के इंटरव्यू में स्वयं यह बात कही की उन्होंने अपने परिवार में लैंगिक असमानता जैसी चीज़ों को झेला है। पूजा से बड़ी 4 बहन और है और पूजा 5 वीं लड़की है।

बेटा बेटी में था फर्क इसी लिए बेटे को दिया ज्यादा प्यार

पूजा कहती है कि उनकी फॅमिली में सभी लोग बेटे को ज्यादा चाहते। हर वर्ष भाई का जन्मदिन बड़ी धूम धाम से मनाया जाता था। पूजा ने आगे कहा उन्हें उनकी फॅमिली से ज्यादा प्यार नहीं मिल पाया। इसलिए वे हर वर्ष अपनी कामयाबी सेलिब्रेट करना शुरू कर दिया और खुश रहने लगी। पूजा प्रतिवर्ष स्कूल में टॉप करने लगी। धीरे-धीरे टॉप करना उनकी होब्बी बन गई। इसी आदत ने उन्हें UPSC के लिए प्रेरित किया।

UPSC की परीक्षा उनके घर के माहौल को बदल सकती है

पूजा ने अपनी पढ़ाई एमसीडी द्वारा चलाए जाने वाले स्कूलों मे पढ़ाई करते हुए इंटरमीडिएट की पढ़ाई कंपलीट की। कड़ी मेहनत और कुछ कर दिखाने की चाह में पूजा ने दिल्ली के नामचीन मौलाना आजाद आयुर्विज्ञान संस्थान में दंत चिकित्सा के लिए एक सीट प्राप्त कर ली।

धीरे धीरे समय बीत रहा था और पूजा बड़ी हो रही थी। तभी उन्हे सिविल सेवा परीक्षा के बारे में जानकारी प्राप्त हुई। उन्होने जब गहराई से जाना तो उन्हें पता लगा की इस परीक्षा के माध्यम से वे किस तरह अपने सामाजिक परिवेश में बदलाव ला सकती है जो वे अपने और अपनी फॅमिली में बदलाव चाहती थी।

खैर उनके माता पिता नहीं जानते थे, सिविल सेवा परीक्षा (Civil Service Exam) के विषय में और पूजा ये नहीं जानती थी की इसकी तैयारी कैसे की जाए फिर भी उन्हें इसकी जरूरत थी इसी लिए वे यूपीएससी की तैयारी में लग गई।

यूपीएससी की परीक्षा पास करते ही परिवार का प्यार भी पा लिया

पूजा ने यूपीएससी पास करके अपना नाम आईएएस की लिस्ट में दर्ज कराने के बाद वे फैमिली में सबसे ज्यादा लाडली बेटी बन गई है। क्योंकि आज उसी बच्ची ने उनके परिवार का नाम रोशन किया है जो अभी तक प्यार के लिए तरसती रही।

पूजा झा के पिता पेशे से एक कंपनी के चपरासी (Peon) हैं, वे बीते 38 वर्षों से उस कंपनी में अपनी सेवा दे रहे है परंतु 38 सालों में उनके पिता ने कंपनी के मालिक की शक्ल भी नहीं देखी थी। जो आज उनकी बेटी ने यूपीएससी परीक्षा अच्छे रैंक के साथ पास की, तो कंपनी के मालिक खुद उनके पिता से मिले और उन्हें ढेर सारी बधाइयां दी। साथ ही एक वादा किया कि वे स्वयं पूजा के घर जाकर उनको सम्मानित करेंगे।

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