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Delhi: ईश्वर ने प्रकृति की रचना कुछ इस प्रकार की है की इंसान चाहे तो इस प्रकृति की मिट्टी को भी सोना बना सकता है। प्रकृति की एक सूई से लेकर बड़ी से बड़ी चीज उपयोगी है। पिछले कुछ समय से वैज्ञानिक लोगो को आगाह कर रहे है कि अब प्रकृति में प्राकृतिक चीज़े समाप्त हो रही है। इसलिए चीज़ों का दोहन थोड़ा कम किया जाए जरुरत के वक़्त की इस्तेमाल हो।
कोई भी खनिज पदार्थ 1-2 सालों में नहीं बनता, इसको बनने में काफी समय लगता है इसी लिए चीज़ों का सही इस्तेमाल होना जरूरी है। जैसे भारत में बिजली की कमी महसूस हुई तो सोलर उर्जा का विकल्प निकाला गया। पेट्रोल डीजल की कमी आई, तो इलेक्ट्रॉनिक वाहन बना लिए।
देश के वैज्ञानिक काफी क्रिएटिव है। वैज्ञानिको की खोज के मुताबिक समुद्र की लहरों से लेकर उसके गर्त में इतनी ऊर्जा दबी हुई है कि पूरा देश कई वर्षों तक इस उर्जा का उपयोग करके अपना जीवन बिता सकता है। वारिश के मौसम में जब बिजली गिरती है, उस बिजली को अगर स्टोर (Store Electricity) कर लिया जाए, तो कई वर्षों तक उसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
परंतु प्रश्न यह उठता है कि ये छड़िक होती है, इसे किस तरह से स्टोर किया जाए। इसी बात को समझते हुए जापान ने एक बहुत बड़ा इंवेंसन किया है। जो पूरे विश्व में किसी देश ने नहीं कर पाया आइये जानते है क्या है वो इन्वेंशन।
समुद्र के गर्त में काफी ऊर्जा है। जो पृथ्वी की किसी भी चीज में नहीं है। ऐसा वैज्ञानिको का मानना हैं। अब समुद्र की इस ऊर्जा को जापान द्वारा इकट्ठा कर घरेलु उपयोग में लाने का विचार किया जा रहा है। इसके लिए जापान अब काफी बड़ी लगभग 330 टन के टर्बाइन पावर जेनरेटर (Turbine Power Generation) को सुमद्र के तल पर छोड़ रहा है। जो समुद्र की विशाल और शक्तिशाली लहरों के सहारे जमी रह सकती है।
इन लहरों से जनरेटर के अंदर जो अनलिमिटेड ऊर्जा को एकत्रित कर विधुत धारा में बदल देगा। जापान के द्वारा इसे कैरयू नाम दिया गया और इस टर्बाइन (Turbine) के नाम का मतलब समुद्री लहर (Sea Wave) है। जो इसके काम के आधार पर रखा गया।
इसकी संरचना एक हवाई जहाज की तरह है, जो 20 मीटर की लंबाई का है। इसके दोनों तरफ सिलेंडर लगे हुए है दोनों सिलेंडरों की आकृति एक जैसी है और दोनों सिलेंडर में एक पावर जेनरेट करने वाला सिस्टम लगा है। जो 11 मीटर लम्बे के टर्बाइन ब्लेड से जुड़ा हुआ है।
इशीक्वाजिमा हरिमा हैवी इंडस्ट्रीज के द्वारा तैयार की गई है
इस टर्बाइन को इशीक्वाजिमा हरिमा हैवी इंडस्ट्रीज ( Ishikawajima Harima Heavy Industries) के द्वारा निर्मित की गई है। इसे IHI Corporation भी कहते है। कंपनी इसके साथ पिछले 10 सालो से भी ज्यादा समय से प्रयोग कर रही है। इसके बाद वर्ष 2017 में इस इंडस्ट्री ने नई ऊर्जा औद्योगिक प्रौद्योगिकी विकास संगठन के साथ साझेदारी कर अपने द्वारा बनाए गए कांसेप्ट को टेस्ट कर रहे थे।
2030 में होगा इसका काम शुरू, 3 साल से चल रहे है टेस्ट
जापान के वैज्ञानिकों के द्वारा फरवरी 2022 में करीब साढ़े तीन साल की मेहनत करके दक्षिण पश्चिमी जापान के समुद्र में पानी के अंदर का टेस्ट पूरा किया। इस मशीन के बारे में वैज्ञानिको ने कहा कि यह मशीन वर्ष 2030 में अपना काम प्रारम्भ कर सकती है।
Japan Is Dropping a Deep-Sea Turbine to Harness the Power of Ocean Currents
Japan's IHI has dropped a gigantic 330-ton turbine power generator onto the ocean floor just off the country's coast. Named Kairyu, the technology is capable of withstanding the most powerful ocean … pic.twitter.com/8yE1D47fMr— 4 Dollar Website (@4dollarwebsite) June 11, 2022
इस मशीन के अंदर एक इस प्रकार का डिवाइस लगाया गया है कि यह स्वयं ही खोज लेगी की समुद्र के अंदर पावर जेनरेट करने के लिए सबसे अच्छी जगह कौन सी है। जापान में वर्तमान समय में पावर का जनरेट करने के लिए जीवाश्म ईंधनों पर डिपेंड है।
205 गीगावाट बिजली उत्पन्न करने की क्षमता है
जापान देश में भी समुद्र की एक काफी लम्बी तटरेखा है। जो उत्तरी प्रशांत चक्रगति की शक्ति के मुताबिक महासागर के पूर्व की दिशा में घूमता है। जब यह चक्रगति जापान देश में प्रवेश करती है, तो कुरोशियो करंट उत्पन्न करती है। जिसे सबसे शक्तिशाली विधुतधारा माना गया है।
IHI की जानकारी के मुताबिक अगर इस विधुत धारा में उपस्थित ऊर्जा (Energy) का प्रयोग किया जाये, तो हम कम से कम 205 गीगावाट बिजली का उत्पादन कर सकते है। जो पुरे देश की वर्तमान बिजली खपत के बराबर है।



