छत्तीसगढ़ की महिला ने गोबर से 93 लाख की कमाई की, 70 से अधिक गरीब महिलाओं को रोजगार मिला

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Cow Dung Business
Preeti Toppo from Chhattisgarh changed lives of 73 women with cow dung. She earns over 90 Lakh with cow dung. Presentation file photo.

Koriya: देश में काफी सारे बदलाव देखने को मिल रहे है पुरुष के साथ महिलाए भी एक उद्यमी के रूप में सामने आ रही है। जिसकी देश को भी जरूरत है। पृथ्वी की हर चीज बहु मूल्य है इस धरती का तिनका भी उपयोगी है। देश में गौ माता को पूजनीय माना जाता है, गाय से प्राप्त पंच तत्वों को अमृत की संज्ञा दी गई है, क्योंकि देशी गौ के शुद्ध घी से कई सारी देशी दवाइयों का निर्माण किया जाता है।

गौ माता का दूध (Cow Milk) को सम्पूर्ण आहार भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के अनुसार गाय में 36 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है। सभी धार्मिक कार्य पूजा पाठ के वक्त घरों में गौ के गोबर से लिपना शुभ माना जाता है ये तो बात हुई धार्मिक परंपराओं की इसके अलावा व्यावसायिक क्षेत्रों में गाय को काफी अहम माना गया है।

गाय के दूध से लेकर गोबर तक काफी उपयोगी है। गाय के दूध से कई तरह के उत्पाद बनाए जाते है जैसे पनीर, मावा, दही, छाच, आइसक्रीम, आदि लोग गाय के दूध से व्यापार भी करते है। गाय के गोबर से कंडे, कंपोस्ट खाद, आदि बनाते है।

Photo Credits: Pixabay

देश में जैविक खेती (Organic Farming) को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसमे कंपोस्ट और देशी खाद का उपयोग अहम माना जा रहा है। इसीलिए छत्तीसगढ़ की महिलाओ ने एक नई पहल की उन्होंने गोबर के उत्पादों से व्यापार (Cow Dung Business) प्रारंभ किया और 93 लाख तक अपने व्यापार को बढ़ा लिया साथ ही 70 से ज्यादा महिलाओ को रोजगार देकर उनको सशक्त और आत्मनिर्भर बनाया है।

छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले की नई पहल

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) राज्य के कोरिया जिले के अंतर्गत आने वाले मनेंद्रगढ़ ग्राम की निवासी प्रीति टोप्पो, जिन्होंने खुद का रोजगार स्थापित किया और अपने साथ साथ अन्य 73 महिलाओं के साथ स्व सहायता समूह का निर्माण किया। इन महिलाओ आपस में मिल कर गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद का निर्माण कर अपना व्यवसाय प्रारंभ किया।

इस समूह ने 93 लाख का सफल कारोबार किया। समूह की महिलाएं धीरे धीरे आत्मनिर्भर बनते जा रही है और उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आ रहा है। कोरिया जिले की प्रीति टोप्पो (Preeti Toppo) एक गरीब परिवार से है। बीते दो वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा गोधन न्याय योजना चलाई गई जिससे उन्हें उम्मीद की रोशनी नजर आई।

प्रीति ने समूह में अन्य महिलाओं को जोड़ा और स्व सहायता समूह बनाया इसके बाद गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद के निर्माण करना प्रारंभ किया। पिछले दो वर्षों में इस समूह के द्वारा 93 लाख रूपए का वर्मी कंपोस्ट खाद बेच लिया गया हैं। अब वे खुद को सशक्त समझती है।

राज्य सरकार स्वयं खरीद रही है गोबर

मनेन्द्रगढ़ के स्वसहायता समूह जो वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण लगा हुआ है उस समूह की महिलाए काफी चर्चित है। लोग इसी लिए भी उनकी तारीफ करते है, क्योंकि महिलाए मिल कर इस समूह को चला रही है और अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रही है। इस समुह के द्वारा अभी तक 93 लाख रूपए का व्यापार किया जा चुका है।

Money Note
Money Presentation File Photo

इन महिलाओ ने लोगो को गोधन से रूबरू कराया है। गोधन न्याय योजना पूरे देश की सबसे खास योजना है। शासन की इस योजना ने गोबर को काफी मूल्यवान बना दिया है, जिससे अब राज्य में गोबर बेचा और खरीदा भी जा सकता है। स्वयं छत्तीसगढ़ सरकार गोबर खरीद रही है और उस गोबर से स्व सहायता समूह की महिलाओ द्वारा वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार की जा रही है।

इनकम आने पर घर में खुशी का माहोल

स्वच्छ मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र स्तरीय संघ की सदस्य महिला प्रीति टोप्पो का कहना हैं कि जब प्रदेश में गोधन न्याय योजना प्रारंभ हुई, तो शहर के गौठान में समूह बनाकर वर्मी कम्पोस्ट बनाने का काम प्रारंभ किया गया।

इस वक्त घर-परिवार के लोग इस काम से खुश नहीं थे। लेकिन जैसे जैसे काम बढ़ा समय बिता और लाभ में वृद्धि हुई तो लोगों का हमारे प्रति विश्वास बढ़ा। इस योजना में प्रीति के साथ कई सारी महिलाओ को स्वरोजगार दिया है। धीरे धीरे समाज में उनका मान-सम्मान बढ़ने लगा।

प्रीति कहती है जब कुल लाभ का बटवारा हुआ तो उन्हे अपने हिस्से का करीब 50 हजार रुपये मिले हैं। जिससे उनका कर्ज चूक गया और बच्चो के लिए साइकिल ले ली। पहले घर में समय ना दे पाने पर नराजगी बनी रहती थी परंतु अब घर में खुशी का माहोल है।

इस समूह की महिलाए काफी गरीब है

मिली जानकारी से पता चला कि इस समूह में करीब 73 महिलाएं शामिल है, जिसमे से कुछ महिलाए काफी गरीब है, तो कुछ को कभी घर से बाहर जाने नही मिला। इस काम ने उन महिलाओ को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाया है। आज महिलाए घर से बाहर जाकर काम करती है और पैसे कमा कर अपने घर को संभालती है जो उनके लिए काफी खुशी की बात है।

आपको बता दें इस समूह द्वारा अब तक करीब नौ लाख 30 हजार किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट खाद (Vermicompost) का निर्माण कर उसे बेचा जा चुका है। महिलाए स्वच्छ भारत के तहत डोर टू डोर सफाई भी करती है, जिससे उन्हें प्रतिमाह करीब 6 हजार रुपया पेमेंट मिलता है।

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