शख्स पैसों की कमी से बहुत परेशान था, अब तुलसी की खेती करके लाखों रुपये का व्यापार कर रहा

0
2211
Tulsi farming business
Tulsi farming business demo file photo.

Patna: इंसान के समय बदलने में वक्त नहीं लगता। वक्त के साथ चलने वाला आदमी हमेशा तरक्की करता है जरूरी नहीं होता कि जो व्यक्ति गरीब पैदा हुआ है तो वह गरीब ही रहे। वक्त के साथ वह व्यक्ति ऐसा मुकाम हासिल कर सकता है, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होती।

कुछ ऐसे ही है बिहार (Bihar) राज्य के नदीम खान (Nadim Khan) जो एक समय अपनी गरीबी से बेहद तंग हो चुके थे और आज वे लाखों रुपए का व्यापार कर रहे हैं। नदीम खान तुलसी की खेती करते हैं और तुलसी के पौधे को और उनकी पत्तियों को आयुर्वेदिक दवाई बनाने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियों में सप्लाई करते हैं, इतने बड़े पैमाने में तुलसी उगाते हैं कि आराम से वे लाखों रुपए कमा लेते हैं तो आइए आगे जानते हैं नदीम खान को यह आईडिया कहां से आया।

तुलसी के पौधे का महत्व

भारत के सनातन धर्म के अनुसार तुलसी का पौधा पूजनीय है। लोग इसे तुलसी माता भी कहते हैं धर्म के अनुसार यह पौधा बहुत ही पवित्र है और विज्ञान की माने तो यह पौधा काफी स्वास्थ्यवर्धक है, अनेकों दवाइयां इस पौधे से ही बनाई जाती है।

आपको बता दें बुखार में खाए जाने वाली पेरासिटामोल की गोली में तुलसी का अर्क पाया जाता है। इसके साथ ही सर्दी जुखाम मैं भी तुलसी के पौधे का सेवन किया जाता है। तुलसी की पट्टी की चाय आपके गले को बहुत राहत पहुंचाती है।

आप देखेंगे कि तुलसी का पौधा (Tulsi Plant) भारत देश के हर घरों में होता है, क्योंकि बहुत से घर की महिलाएं तुलसी माता को रोजाना जल अर्पित करती हैं और उनकी पूजा करते हैं और कभी कभी तुलसी के पत्तों को दवाई के रूप में खाते भी हैं, तुलसी का पौधा मानव शरीर को निरोग बनाने के लिए काफी उत्तम है।

पारंपरिक खेती बनी गले का फंदा

बिहार राज्य के अंतर्गत आने शहर पीलीभीत के रहने वाले नदीम खान तुलसी की खेती (Tulsi farming) से पूर्व पारंपरिक खेती करते थे, वही रसायनिक खाद यूरिया जो जमीन को काफी नुकसान पहुंचाती थी जिसके चलते लागत ज्यादा थी और मुनाफा बहुत कम कभी-कभी तो वे अपनी लागत भी नहीं निकाल पाते थे।

इसके बाद उन्होंने तुलसी की खेती करना प्रारंभ किया और आज की स्थिति में भी सफल और समृद्ध तुलसी की खेती के किसान हैं, वैसे तो बहुत से किसान हैं, जो आधुनिक खेती और तुलसी की खेती में माहिर है।

यदि बात करें नदीम खान की तो नदीम खान एक ऐसा किसान है, जिसने जीरो से हीरो तक का सफर तय किया। तुलसी की खेती करने के कुछ वर्ष पहले से नदीम खान अपनी पारंपरिक खेती से बेहद परेशान थे, क्योंकि पारंपरिक खेती के हिसाब से मौसम की मार किसानों की जान लेने के लिए काफी थी।

कृषि के विशेषज्ञ जयेंद्र सिंह के द्वारा नदीम खान को प्रेरणा मिली

नदीम खान के तुलसी के खेत बिहार के पीलीभीत जिले के अंतर्गत आने वाला पुनरपुर ब्लॉक के गांव शेरपुर कला में है। नदीम खान को पारंपरिक खेती से निकलकर तुलसी की खेती करने का ज्ञान कृषि विज्ञान के विशेषज्ञ जयेंद्र सिंह के द्वारा मिला।

जयेंद्र सिंह कृषि से संबंधित तरह तरह के प्रयोग समय-समय पर करते रहते हैं, जिससे उनका ज्ञान बहुत ही ज्यादा विकसित है वे जानते थे कि तुलसी की खेती नदीम खान के जीवन में परिवर्तन लाएगी, इसीलिए उन्होंने इस खेती की सलाह नदीम को दी।

नदीम खान ने जब इस प्रक्रिया को समझा तो उन्होंने सही समय को ना देखते हुए अपने ही खेत में तुलसी की कुछ बीज को ऐसे ही बो दिया, थोड़ी बहुत सिंचाई के बाद तुलसी के पेड़ बड़े हुए। जब तुलसी की फसल कटाई के लायक हुई तो उन्होंने तुलसी के वृक्षों को काटकर मार्केट में अच्छे दामों में बेच दिया उन्होंने पहली ही फसल में अच्छा खासा मुनाफा कमाया था।

कम लागत पर अधिक मुनाफा

नदीम खान तुलसी की खेती को पिछले 8 सालों से कर रहे हैं, जीरो से शुरू इस व्यापार में आज उन्होंने ऐसी उपलब्धि हासिल की है, जिसमें बे पूरे 1 वर्ष का 1000000 Rs मुनाफा कमाते हैं। तुलसी का पौधा एक औषधीय पौधा है।

Money Note
Money Presentation File Photo

आयुर्वेद से लेकर होम्योपैथिक दवाइयों में भी तुलसी के पौधे और तुलसी के पत्तों की बहुत अधिक डिमांड है तुलसी का पत्ता ही नहीं बल्कि संपूर्ण पौधा ही उपयोगी है। डाबर, पतंजलि, हमदर्द, बैद्यनाथ, उंझा, झंडू जैसी कई बड़ी बड़ी औषधि कंपनियां तुलसी के पत्तों को Rs 7000 प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदते हैं।

तुलसी की फसल में कोई विशेष देखभाल की या किसी विशेष चीज की जरूरत नहीं होती, इस फसल के लिए लागत भी जीरो होती है। आयुर्वेदिक कंपनियां और होम्योपैथिक कंपनियां बिना किसी केमिकल के अपने प्रोडक्ट को बनाती है इसीलिए उन्हें उन इंग्रिडियंट की जरूरत होती है जो उपयोगी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here