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Bhopal: हमने अपने समाज में कई सारी पुरानी परंपराओं को देखा और निभाया है। हमारे समाज में कुछ लोग ऐसे भी होते है, जो कि पुरानी रूढिवादी परंपरा को अधिक मानते है और निभाते है। वही कुछ लोग ऐसे भी होते है, जोकि रूढिवादी सोच से आगे निकलकर कुछ ऐसा काम कर जाते है।
जिससे पूरे समाज के लिए एक उदाहरण बनकर पेश हो जाता है। ऐसा ही कुछ मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के धार जिले में हुआ है। जहॉं रूढ़िवादी सोच को तोड़ कर एक परिवार ने ऐसी मिसाल पेश कर दी कि जिसने भी उनकी कहानी सुनी वह उनकी तारीफ करने से नहीं रूक पाया।
आज की यह जो खबर सामने आई है, वह एक अनोखी खबर है, जहॉ एक परिवार में सास-ससुर ने अपनी विधवा बहू को बेटी के समान माना और सिर्फ बेटी माना ही नहीं, बल्कि बेटी मानकर मॉ बाप बनने का फर्ज भी निभाया और अपनी बेटी की तरह विदा भी किया। अपनी बिधवा बहू (Widow Bahu) की ना सिर्फ उन्होंने धूमधाम से शादी करवाई। बल्कि उसे जीवन में कोई तकलीफ ना आये इसलिए अपनी बहू को 60 लाख का बंगला भी गिफ्ट कर दिया।
मध्यप्रदेश के धार जिले की है खबर
खबर है, कि मध्यप्रदेश के धार (Dhar) जिले में रहने वाले एसबीआई के रिटायर्ड मैनेजर युग तिवारी के पुत्र प्रियंक तिवारी का कुछ समय पहले ही देहांत हो गया था। उनका देहांत 25 अप्रैल 2021 को हो गया था और उनके बेटे की शादी 27 नवंबर 2011 को रिचा (Richa) के साथ हुई थी।
प्रियंक तिवारी (Priyank Tiwari) भोपाल (Bhopal) की नेटलिंक कंपनी में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद में थे। और वर्ष 2013 में उनके घर में एक सुन्दर बेटी का जन्म हुआ। जिसका नाम आन्या तिवारी है और वह अभी 9 साल की है।
आपदा के समय जब प्रियंक का देहांत हुआ, तो उनके परिवार को एक तरह से झटका लग गया। प्रियंक के जाने के बाद उनकी पत्नी रिचा विधवा हो गई और बेटे के जाने के बाद परिवार कि खुशी में तो जैसे ग्रहण ही लग गया। इन सब से उबरने में उनके परिवार को काफी समय लगा।
अपनी बहू का किया कन्यादान
अगर कोई और परिवार में इस तरह का वाख्या हुआ होता, तो शायद रिचा को पूरी जिंदगी अकेले ही अपने ससुराल में बितानी पड़ती और अकेले ही अपनी बेटी कि जिम्मेदारी उठानी पड़ती। लेकिन युग तिवारी जी का परिवार पुरानी रूढीवादी सोच से निकलकर कुछ अलग हटके करने वालों में से थे।
रिटायर्ड मेनेजर युग तिवारी (Yug Tiwari) और उनकी पत्नी जी ने अपनी बहू और 9 साल की पोती के भविष्य की चिंता करते हुए एक ऐसा फैसला लिया, जो कि आम परिवार के लिए करना बहुत मुश्किल होता है। दोनों पति पत्नी ने अपनी विधवा बहू का दौबारा विवाह करने का डिसिजन लिया और अपनी विधवा बहू की शादी की तैयारी शुरू कर दी।
युग तिवारी और उनकी पत्नी ने अक्षय तृतीया के दिन अपनी विधवा बहू रिचा तिवारी का विवाह नागपुर के रहने वाले वरुण मिश्रा से करवा दी। दोनों सास ससुर ने अपनी बहु समान बेटी का कन्यादान अपने हाथो से किया।
नागपुर शहर के है दामाद
युग तिवारी जी ने अपनी बहू के लिए एक योग्य वर ढूँढने में कोई कसर नहीं छोड़ी और एक अच्छे लडके वरूण को अपनी बहु के लिए पसंद किया। युग तिवारी जी अपने दामाद के बारे में बताते हुए कहते है कि उनका जो दामाद है वह एक होस्टल संचालक और प्रॉपर्टी ब्रोकर है।
वरूण महाराष्ट्र के नागपुर शहर में रहते है और बहुत सुशील और सुयोग्य है। वरूण को उन्होंने अपनी बहू रिचा के बारे में बताया और वरूण को यह भी बताया कि रिचा उनकी बेटी नहीं बहु है और उनकी शादी उनके बेटे प्रियंक के साथ 27 नवंबर 2011 को हुई थी।
वरूण को रिचा काफी पसंद थी और उन्होने उनसे शादी के लिए हॉं कर दिया। लेकिन इतने बड़े गम से गुजर रही रिचा को पहले यह शादी सही नहीं लग रही थी। वह अपने माता पिता समान सास ससुर के साथ ही अपनी जिदंगी बिताना चाहती थी। लेकिन रिचा के सास ससुर ने अपनी बेटी समान बहू को समझाया और शादी के लिए मना लिया। और फिर रिचा और वरूण का विवाह सम्पन्न हो गया।
बंगला किया गिफ्ट
रिटायर्ड मेनेजर युगप्रकाश तिवारी के बेटे प्रियंक ने अपनी मृत्यू के पहले ही नागपुर में एक बंगला खरीदा था। और वही घर युग तिवारी जी ने अपनी बहू को देने का फैसला किया। उन्होंने अपनी बेटी समान बहू और अपने दामाद को वह घर शादी में गिफ्ट किया। शादी के बाद भी रिचा का रिश्ता उनके सास ससुर से नहीं बदला।
उन्होंने फैसला किया कि वह हमेशा ही उन्हें अपने माता पिता मानेंगी। फिर दोनों परिवारों के बीच में इस बात पर सहमति हो गई कि आज से वह एक-दूसरे के साथ एक रिश्तेदार की तरह रहेंगे और बहू ऋचा अपने ससुराल एक बेटी की तरह धार में अपनी मॉं समान सास और पिता समान ससुर से मिलने आती रहेगी।
युग तिवारी जी का परिवार आज पूरे समाज के लिए उदाहरण की तरह पेश हो गया है। वह लोग जो यह सोचते है कि पति मृत्यू के बाद बहू को कायदे में रहना चाहिए। सजना सवरना नहीं चाहिए। हमारे समाज में विधवा बहू के जहॉं पर काट दिये जाते है।
वही युग तिवारी जी का परिवार इस कार्य से समाज में एक अलग ही परंपरा का चलन ले आया है। जो कि बहुत ही सराहनीय है। हमारे समाज में युग तिवारी के परिवार की तरह सोच वाले लोगो की जरूरत है। जो कि इस समाज को नया रूप देने में सहायक होंगे। हम युग तिवारी जी के परिवार को उनके इस कार्य के लिए बधाई देते है।



