देश में एक कानून बनवाने इस युवा ने इंदौर से दिल्ली पैदल यात्रा शुरू की, देश के लिए जरुरी बताया

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Pankaj Singh Thakur Satna
Madhya Pradesh Satna youth Pankaj Singh Thakur started walking journey to Indore to Delhi for demand of Uniform Civil Code Law in India.

Indore: हमारे देश में ऐसे बहुत से लोग हैं, जो अपने देश भारत से बहुत प्रेम करते हैं और देश में खुशहाली और शांति बने रहने के लिए प्रार्थना और प्रयास भी करते हैं। यही भारत का प्राचीन इतिहास भी रहा है की देश के विद्धमानो और किसानो ने इस देश को विश्व गुरु बनाया था। फिर भारत के आसमान पर काले बादल छा गए और देश की सीमा पर बाहरी देशो के खाना-बदोश शासकों ने धावा बोलना शुरू कर दिया।

भारत की प्राचीन संस्कृति और असीम ज्ञान को ख़त्म करने की पूरी कोशिशें की गई, परन्तु सभी प्रयासों के बाद भी ऐसा नहीं हो सका। आज अयोध्या में एक बार फिरसे राम मंदिर बनाया जा रहा है। हमारा देश एक सेक्युलर राष्ट्र हैं, यहाँ पर सभी लोगो और धर्मो को मांनने वालों को एक सामान अधिकार प्रदान किये गए हैं।

फिर भी कुछ लोगो को इसमें कुछ कमी नज़र आती है। इसी कमी को पूरा करने के लिए मध्यप्रदेश के एक युवा ने कमर कसी है। मध्य प्रदेश के सतना (Satna) जिले के रहने वाले पंकज सिंह ठाकुर (Pankaj Singh Thakur) नाम के देश भक्त युवक ने इंदौर से दिल्ली (Indore To Delhi) के लिए अपनी पैदल यात्रा शुरू की है और यह यात्रा अभी 10-15 प्रतिशत हो भी चुकी है। अभी उनका दिल्ली तक का सफर बहुत मुश्किल भरा है।

लम्बी पैदल यात्रा बहुत कष्ट-दायक है

ज़रा सोचिये की आपदा काल में लॉक डाउन की वजह से कई मज़दूरों को पैदल कई हज़ार किलोमीटर पैदल जाना पड़ा था। इस दौरान कई मज़दूरों को अपने प्राण तक खोने पढ़ गए थे। ऐसे में इतनी लम्बी पैदल यात्रा बहुत कष्ट-दायक और जोखिमभरी है।

जब हमारी टीम (एक नंबर न्यूज़) की तरफ से नितिन चौरसिया ने पंकज सिंह ठाकुर से बातचीत की, तो उन्होंने जानकारी दी की वे हमारे देश की अच्छे भविष्य के लिए एक कानून पास करवाने की चाह लिए अपने पैदल सफर पर निकल चुके हैं। यह कानून कॉमन सिविल कोड (Common civil code) या यूनिफार्म सिविल कोड के नाम से जाना जाता है, जो अभी तक देश में नहीं लग सका है।

लोग अभी भी ‘समान नागरिक संहिता’ ने परिचित नहीं

पंकज ने बताया की अभी देश में बहुत से लोग ‘समान नागरिक संहिता’ (Uniform Civil Code) से परिचित नहीं है। यह देश की भलाई और भविष्य के लिए अति महत्वपूर्ण हैं। उनका कहना है की जब देश एक सेक्युलर कंट्री है, तो फिर यहाँ धर्मो और जातियों के आधार पर अलग अलग कानून नहीं होने चाहिए। हम सब एक हैं, फिर चाहे किसी भी जाती-धर्म को मानने वाले हो, हमें सामान अधिकार होना चाहिए।

आपको बता दें की अभी पंकज सिंह ठाकुर की दिल्ली तक की पैदल यात्रा का मात्रा 15 प्रतिशत की मार्ग तय हुआ है और उनके पैरों में छाले पढ़ने शुरू हो गए हैं। ऐस में दिल्ली तक पैदल जाना बहुत कठिन और जोखिमभरा हैं। परन्तु पंकज ने ठान लिया है की वे इस काम को बीच में कतई नहीं रोकेंगे और दिल्ली तक कूच करके ‘समान नागरिक संहिता’ के लिए प्रधानमंत्री और सरकार ने मांग करेंगे।

आपको पता दें की पंकज सिंह ठाकुर सतना जिले से पूर्व विधानसभा प्रत्याशी भी रह चुके है और वे एक निर्दलीय उम्मीदवार रहे थे। समाज सेवा और देश सेवा की चाह लिए वे यूनिफार्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) कानून की मांग कर रहे है। जिसके लिए उन्होंने गाँधी जी के बताये मार्ग को चुना है। यह पैदल यात्रा इंदौर से दिल्ली की लगभग 920 किलोमीटर की होगी।

समान नागरिक संहिता का अर्थ

समान नारिकता संहिता का मतलब है की भारत में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून, फिर चाहे वह किसी भी धर्म, मजहब या जाति का हो। समान नागरिक संहिता लागू होने से हर मजहब के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा।

अभी के समय में देश में हर धर्म के लोग शादी, तलाक, जायदाद का बंटवारा और बच्चों को गोद लेने जैसे मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के हिसाब से करते हैं। मुस्लिम, ईसाई और पारसी का पर्सनल लॉ है, जबकि हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौध आते हैं। इस सब के लिए एक नियम और एक कानून की समान नारिकता संहिता है।

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