केके मोहम्मद ने अयोध्‍या में राम मंदिर से जुड़ा छुपा राज़ उजागर किया, अब सरकार उन्हें पद्मश्री सम्मान देगी।

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KK Muhammed Statement
Mr. K. K. MUHAMMED, Ex Regional Director, ASI On Ram Mandir. K K MUHAMMED giving exposed news on Ayodhya Ram Mandir Facts: Ek Number News

KK Muhammed Photo Credits: Youtube(public 24×7) Crap

Ayodhya/UP: डॉ. केके मोहम्मद ने पुष्टि की थी कि अयोध्या में 1976 से 1977 में हुई खुदाई के वक्त मंदिर (Ram Mandir) होने के अवशेष होने प्रमाण प्राप्त हुए थे। उन्होंने इस बात जिक्र अपनी मलयालम में लिखी आत्मकथा ‘जानएन्ना भारतीयन’ मैं भी एक भारतीय में भी बताई है। प्रसिद्ध भारतीय पुरातत्वविद के के मुहम्मद का नाम पद्म पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है।

पद्म पुरस्‍कारों का ऐलान केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व शाम को थी। के.के मुहम्मद (KK Muhammad) का नाम पद्म श्री पुरस्कार पाने वालों की लिस्ट में सम्लित होने के बाद उन्हे शुभकामनाएं के मैसेज के साथ “सच उजागर करने के लिए” के लिए तारीफ की जा रही है।

डॉ. केके मोहम्मद ने अपनी पुष्टि की थी कि अयोध्या में 1976 से 2977 में हुई खुदाई के समय मंदिर होने के अवशेष होने प्रमाण प्राप्त हुए थे। यह खुदाई भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण के तत्कालीन महानिदेशक प्रोफेसर BBL के कार्यकाल में की गई थी। तब उस टीम में मोहम्मद भी एक कार्यकर्ता थे।

केके मोहम्मद ने पुरातत्वविद BBL के साथ कार्य किया है। जिन्होंने उस खुदाई समूह का नेतृत्व किया। जिसने पहली बार 1976 से 1977 में बाबरी मस्जिद क्षेत्र पर एक हिंदू मंदिर के अवशेषों की जानकारी प्राप्त करने के लिए दावा किया था। पुरातत्व वैज्ञानिक डॉ. केके मोहम्मद ने अपनी पुस्तक में लिखा था की “जो कुछ मैंने जाना और कहा है, वो ऐतिहासिक सच्चाई है। हमें विवादित क्षेत्र से 14 स्तंभ प्राप्त हुए थे

प्रत्येक स्तंभों में गुंबद खुदे हुए थे। ये 11वीं और 12वीं सदी के मंदिरों में मिलने वाले गुंबद जैसे ही लग रहे थे। गुंबद में ऐसे 9 प्रतीक चिन्ह प्राप्त हुए हैं, जो मंदिर में दिखाई देते हैं। केके मोहम्मद ने ये भी लिखा था, खुदाई से सच हो गया था मस्जिद एक मंदिर के मलबे पर बनाई गई थी। उस समय मैंने इस बात की जानकारी कई अंग्रेजी अखबारों में भी की थी, लेकिन उन्हें अखबार में बहुत छोटे स्थान में लिखा गया था।

केके मोहम्मद का तर्क है की अयोध्या (Ayodhya) मसले को उन लोगों से बचाए जाने की आवश्यकता है, जिनको प्रतीक होता है की ताजमहल शिव मंदिर हैं। केके मोहम्मद का ये भी कहना है कि मुसलमानों को अयोध्या को हिंदुओं को जिम्मे कर देना चाहिए, क्योंकि उनके पास मक्का-मदीना जैसी जगह भी है।

केके मोहम्मद एएसआई से 2012 में रिटायर हुए। उसके बाद उन्होंने हैदराबाद में आगा खान ट्रस्ट के Director के रूप में कार्यभार की जिम्मेदारी सम्भली। डॉक्टर केके मोहम्मद ने बताया था मंदिर मसले में देश के मुसलमानों को अपने धर्म के प्रति वामपंथी चिंतकों ने गुमराह किया था। अगर ऐसा कुछ न हुआ होता तो ये मामला कब का solve हो गया होता।

उन्होंने बताया था, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के तत्कालीन सदस्य प्रोफेसर इरफान हबीब, बिपिन चंद्रा, एस. गोपाल, रोमिला थापर जैसे प्रसिद्ध इतिहासकारों ने मुस्लिम लोगो को अपनी बातों में गुमराह करके उनका ब्रेन-वाश कर दिया था। इन सबने साथ मिलकर इलाहाबाद हाईकोर्ट को भी चकमा देने का प्रयास किया था।

मोहम्मद ने कहा था, ये सब मुस्लिमों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल हो गए थे उन्होंने कहा था कि 19वीं सदी से पूर्व मंदिर में खुदाई करने पर वहां बौद्ध और जैन धर्म का केंद्र होने का कहीं कोई बात की पुष्टि नहीं है। इस बात का RS शर्मा, सूरज बेन, डीएन झा और अख्तर अली जैसे कई प्रसिद्ध इतिहासकारों ने इस बात का सपोर्ट किया था।

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