कानपूर पुलिस के गुनहगार विकास दुबे का सपा कनेक्शन, पत्नी रही समाजवादी पार्टी नेता, मिला अखिलेश का साथ

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Poster Image Credits: Social Media

Kanpur/Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के कानपूर (Kanpur) के पास बिठूर के विकरू गांव में वीरगति को प्राप्त हुए 8 पुलिसकर्मियों और बदमाश विकाश दुबे पर अब राजनीती शुरू हो गई हैं। इस मामले पर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने कठघरे में खड़ा किया और कहा है कि इस घटना की जिम्मेदारी योगी सरकार की ही है।

सपा और कांग्रेस के मुताबिक़ योगी राज में प्रदेश के अंदर ऐसी वारदात चरम पर है और समाज के रखवाले पोलिसवाले ही शिकार हो रहे हैं। लेकिन इस मामले में नया मोड़ तब आ गया जब हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे (Vikash Dubey) की पत्नी का एक पोस्टर सामने आया, जिसमें उसका कनेक्शन समाजवादी पार्टी से सीधे तौर पर देखा जा सकता है। अब वह पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

यूपी पुलिस के 8 पुलिसकर्मियों के साथ घटना को अंजाम देने और फरार विकास दुबे को लेकर समाजवादी पार्टी इस वक्त योगी सरकार को पॉइंट करने में लगी है, परन्तु विकास दुबे की पत्नी रिचा दुबे का एक पोस्टर खुद सच बता रहा है की उनके साथ अखिलेश और मुलायम यादव खड़े है और समाजवादी पार्टी की सरपरस्ती में विकाश दुबे फला-फुला था।

आपको बता दे की यह पोस्टर उस समय का है, जब रिचा दुबे घिमऊ से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही थीं। जिला पंचायत सदस्य पद की दावेदार रिचा दुबे को उस वक्त समाजवादी पार्टी का पूरा समर्थन हासिल था। उसके पोस्टर में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की तस्वीरें भी साफ दिखाई दे रही हैं और बगल में विकाश दुबे तो मुख्या भूमिका में देखे दे रहा है।

उत्तर प्रदेश पुलिस के आठ कर्मियों की गुरुवार रात कानपुर के बिकरू गाँव में प्राण ले लिए गए। इस घटना के बाद से हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे चर्चा में है। पुलिस की टीम ने उसे पकड़ने के लिए आधी रात दबिश दी थी। लेकिन, विकास और उसके लोगो ने पुलिस टीम पर घटना को अंजाम दे दिया। विकास पर कम से कम 60 मामले दर्ज हैं। यहाँ तक के विकाश दुबे पर राजनाथ सिह की सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा रखने वाले नेता संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर प्राण लेने का भी आरोप है। हालॉंकि इस मामले में कोई गवाह नहीं मिलने पर उसे बरी कर दिया गया था।

विकास दुबे पर साल 2000 में कानपुर के शिवली स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज में सहायक प्राध्यापक के पद पर नियुक्त सिद्धेश्वर पाण्डेय की जान लेने का आरोप है। 2004 में केबल व्यवसायी दिनेश दूबे केस में भी उसका नाम दर्ज़ है। विकास दुबे की सक्रियता राजनीति में भी खूब रही हैl वह पूर्व प्रधान और जिला पंचायत सदस्य रह चुका है। साल 2002 के आस-पास बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के कार्यकाल में विकास दूबे का कानपुर के अनेक क्षेत्रों में भौकाल और बम्फाड रुतबा था।

आपको बता दे की बसपा के अलावा समाजवादी पार्टी के नेताओं से भी उसके गहरे संबंध रहे हैं। उसकी पत्नी भी सपा के टिकट पर पंचायत चुनाव लड़ चुकी है। अब योगी सरकार के आते ही उस पर कार्यवाही की गई, परन्तु यह उसे नागवार गुज़ारा और उसने ओस घटना को अंजाम दिया। उनके पूरे गांव को ही अपना रणक्षेत्र बना रखा था। जिस प्रकार से विकास दूबे की तरफ से पुलिस पर घटना को अंजाम दिया गया, इससे यह पता चलता है कि उसने पहले ही तैयारी कर ली थी। गाँव के लगभग हर रास्ते को जेसीबी से लॉक किया गया था, जिससे पुलिस को गाँव के भीतर दाखिल होने में कठिनाई हो।

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