Delhi: प्रधानमंत्री मोदी की टीम के तीन सबसे शक्तिशाली अधिकारियों में काम को तीन हिस्सों में बंटवारा कर दिया गया है। ये काम का बंटवारा उस निर्णय के बाद किया गया है जिसके अंतर्गत पीके मिश्रा को प्रधानमंत्री मोदी का प्रिंसिपल सेक्रेटरी और पीके सिंहा को प्रिंसिपल एडवाइजर चयनित किया गया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय में ने PMO के इन दो सबसे शक्तिशाली अधिकारियों के बीच कामकाज की स्थिति साफ कर दी है। इसके साथ ही नेशनल सेक्योरिटी एडवाइजर अजित डोभाल के कार्य के क्षेत्र को भी स्पष्ट कर दिया गया है।
PMO के आदेश के अनुसार प्रिंसिपल सेक्रेटरी मिश्रा नीतिगत मुद्दों को देखेंगे। वे इसके अतिरिक्त लॉ,मिनिस्ट्री ऑफ पर्सनल,अन्य अप्वाइंटमेंट, अप्वाइंटमेंट कमेटी ऑफ कैबिनेट को हैंडल करेंगे। उन्हें कैबिनेट सेक्रेटेरिएट से जुडे मुद्दों की भी रेस्पोंसबिल्टी दी गई है। यूनियन कैबिनेट की बैठक के लिए विषयों की सूची, PMO एस्टेब्लिशमेंट एंटी करप्शन यूनिट और सभी आवश्यक नीतिगत मुद्दों की भी वे ही देख रेख करेंगे।
पूर्व कैबिनेट सेक्रेटरी और PM के प्रिंसिपल एडवाइजर चयनित पीके सिंहा को सभी मंत्रालयों/विभागों व एजेंसी के नीतिगत मामलों की रेस्पोंसबिल्टी सौंपी गई है। इसमें प्रिंसिपल सेक्रेटरी और NSA को आवंटित विभाग सम्लित नही होंगे।
NSA अजित डोभाल को नेशनल सिक्योरिटी एवं नीतिगत मामलों की पूरी रेस्पोंसबिल्टी सौंपी गई है। वे विदेश मंत्रालय, रॉ, रक्षा,प्र वासी भारतीय मामलों, अंतरिक्ष, अटामिक एनर्जी से जुड़े नीतिगत मामलो की देख रेख करेंगे। NSA अजित डोभाल ही वो शख्श हैं जिनकी वजह से कश्मीर से धारा 370-35A हट पाई है।
इसके साथ ही वे नेशनल अथॉरिटी फ़ॉर केमिकल वीपन्स और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटैरिएट के भी प्रभारी होंगे। उन्हें NSCN नागालैंड के अलगाववादियों के साथ मुलाकात की भी रेस्पोंसबिल्टी सौंपी गई है। इस वक़्त नागालैंड के अलगाववादियों की वजह से भी भारत के नार्थ ईस्ट राज्यों में अशांति का माहौल रहता है।