छोटे बेटे से अलग रहकर मां ऐसे बनी IAS अफसर, हरियाणा की बेटी ने महिलाओं को दिखाई नई राह

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Lady IAS Success
UPSC Civil Services Exam 2017 2nd topper Anu Kumari to go for IAS. Success story of IAS Anu Kumari and UPSC Crack: Ek Number News Story

Photo Credits: Twitter

Gurugram: किसी चीज को पाने का जुनून हो तो रास्ता अपने मिल ही जाता है, होसलो के मजबूती ही सफलता का मूलमंत्र है। हरियाणा की अन्नु कुमारी ने जब फैसला लिया कि वे UPSC के एग्जाम की तैयारी करेंगी उस समय उनका बच्चा केवल ढ़ाई साल का था।

ऐसे में बच्चे से दूर रहकर, समाज के ताने सुनकर और दिल में इस ख़ौफ़ को छिपाकर जीना कि सफल नहीं हुये तो क्या होगा, आसन नही था। पर अन्नु कुमारी ने इन सब बातों पर ध्यान ना देते हुए दिन-रात बस पढ़ाई में लगी रहीं।

हरियाणा के सोनीपत की अनु कुमारी ने जब UPSC सिविल सेवा परीक्षा में दूसरे स्थान के साथ टॉप किया सब लोग उनसे बहुत खुश हुए। अनु कुमारी की पढाई के समय उनका बेटा बहुत छोटा था। इन्होने परिवार की जिम्मेदारियां निभाते हुए रोजाना 10 से 12 घंटे पढ़ाई करती।

पहली बार में सफल न हो पाने के कारण थोड़ी निराशा जरूर मिली लेकिन हार नहीं मानी। अपने होसलो को बनाये रखा। 31 साल की अनु को UPSC Exam में दूसरी बार में यह कामयाबी मिली। पहली बार की परीक्षा में वे महज एक अंक से पीछे रह गई थीं। अनु कुमारी ने परीक्षा की तैयारी मौसी के घर (गांव) में रह कर की, जहां सामान्य ज्ञान के तौर पर अखबार भी नहीं आता था।

अनु कुमारी ने नोजवानो को सन्देश देते हुए बताती है, कि मन में जिद बनी ली जाए तो कोई भी मंजिल पाना नामुमकिन नहीं। वे देश में महिलाओं की सुरक्षा की दिशा में काम करने को लेकर इच्छुक है। हाल ही में यूपीएससी 2017 पास करके अनु कुमारी सोनीपत में पैतृक गांव दीवाना पहुंची जहां उनका स्थानीय लोगों ने सम्मान के साथ स्वागत किया गया।

अनु के पिता बलजीत सिंह मूलरूप से पानीपत के दिवाना गांव के रहने वाले है, लेकिन वह कई साल पहले हॉस्पिटल में एचआर की नौकरी करने के कारण सोनीपत के विकास नगर में आकर बस गए। अनु की 12वीं तक की पढ़ाई सोनीपत के स्कूल से की। अनु दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिन्दू कॉलेज की फिजिक्स ऑनर्स की छात्र रहीं हैं।

अनु ने जब UPSC के लिए तैयारी शुरू की तो उनके मन मे बहुत सवाल थे, उनके लिए बच्चे की जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी और उन्होंने बेटे को मां के घर छोड़ने का निर्णय लिया। अनु के संघर्ष इस बातसे लगाया जा सकता है कि वह अपने बेटे से ही ढाई साल तक नहीं मिली थीं। पहले प्रयास में सफलता हासिल न होने के बावजूद उन्होंने अपने सपने का पीछा नहीं छोड़ा और पूरी मेहनत से इसे पूरा करने में लगी रहीं।

अनु बताती हैं पोस्टग्रेजुएट के बाद मेरी पहली जॉब आईसीआईसीआई बैंक में लगी थी। फिर मैंने 20 लाख रुपए सालाना के पैकेज पर अवीवा लाइफ इंश्यॉरेंस कंपनी join की। मेरे हसबैंड वरुण दहिया बिजनेसमैन हैं। हमारा 4 साल का बेटा है विहान। मेरे मामा अकसर कहा करते थे कि मुझे सिविल सर्विसेस की तैयारी करना चाहिए।

मुझे भी इसको लेकर मन मे जिज्ञासा पैदा हुईं, लेकिन पहले मैं खुद को फाइनेंशियली सिक्यॉर करना चाहती थी। 2016 में उन्होंने मेरे भाई के साथ मिलकर सबको बिना बताए मेरा फॉर्म भरवा दिया था। यह बात जानकर मैंने अपनी पूरी एनर्जी UPSC में लगाने की जिद बना ली। इसके लिए मैंने अपनी जॉब से भी इस्तीफा दे दिया।

मेरे पास तैयारी के लिए सिर्फ डेढ़ महीने थे। मुझे पता था कि सिलेक्शन आसान नही होगा, लेकिन मैं कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी। पहली बार में कुल 1 अंक से मैं कटऑफ सूची में आने से रह गई थी। सिलेक्शन तो नहीं हुआ, लेकिन सेकंड अटैम्पट की तैयारियों का बेस जरूर तैयार हो गया।

उन्होंने बताया फर्स्ट अटैम्प्ट में सिर्फ एक अंक की वजह से पीछे होना मुझे बहुत अफसोस हो रहा था। मैंने जिद बना ली कि इस बार तो करके ही दिखाना है। मेरा बेटा तब कुल तीन साल का था। सिविल सर्विसेस में आने के लिए मुझे उससे पूरे दो साल तक दूर रहना पड़ा। मैंने उसे अपनी मां के पास छोड़ा और पूरी तरह प्रिपरेशन में जुट गई। इसमें मेरे हसबैंड ने मेरा हर समय पूरा साथ दिया।

मेरे होसलो को ताकत दी। बेटे से दूर होना मुझे सबसे बुरा लगता था। छोटी सी मुलाकात के बाद जब हम अलग होते थे तो वह बहुत निराश होता था। रोने लगता था लेकिन उससे ज्यादा मैं रोती थी, लेकिन यह त्याग जरूरी था। यह कामयाबी उन सबके लिए प्रेरणा है। खासकर, वे गृहणियां जो अपने करियर को लेकर समर्पित हैं जरूर अनु की सफलता से उत्साहित होंगी।

अन्नु बताती है कि मेरा घर जहां था, वहां का माहौल थोड़ा गांव का था। गांव की औरतें बच्चे को छोड़कर आना बहुत बुरा मानती थी। कई बार अन्नु को ताने देते हुए कहती थी, कैसी मां है, जो इतने छोटे बच्चे को छोड़ दिया। अन्नु जो खुद बच्चे से दूर रहकर दुखी थी, इन तानो को सुनकर टूट जाती थी।

मन में यह ख़ौफ़ भी लगातार बना रहता था कि कहीं सेलेक्शन नहीं हुआ तो क्या करेंगी क्योंकि सबकुछ दांव पर लगा था, परिवार, बच्चा, शादी और नौकरी, नोकरी से भी इस्तीफ़ा दे दिया यह। अन्नु ने जब पहली बार परीक्षा दी तो बहुत कम समय था तैयारी करने के लिए।

उन्होंने दिन-रात कड़ी मेहनत की लेकिन सलेक्शन नही हुआ। इससे उन्होंने अपना हौसला कम नही होने दिया। इससे उनका बेस अच्छा तैयार हो गया। अन्नु ने सेल्फ स्टडी के बल पर साल 2017 में यूपीएससी परीक्षा दूसरे अटेम्पट में पास कर ली। अन्नु की कड़ी मेहनत का फल यह था कि प्री, मेन्स देने के बाद ही वे वियान के पास वापस लौटी।

एक मां के तौर पर उनके संर्घष को कोई शब्दो मे बयान नही कर सकता। उनकी मेहनत का फल भी उन्हें जल्द मिला, उनका यूपीएससी की परीक्षा में न केवल सलेक्शन छोटे बेटे से अलग रहकर मां ऐसे बनी IAS अफसर, हरियाणा की बेटी ने महिलाओं को दिखाई नई राहहुआ बल्कि उन्हें ऑल इंडिया रैंक 02 भी हासिल हुयी। इस परिणाम के साथ ही अन्नु की सारी मेहनत सफल हो गयी।

अन्नु का सफर हमें सिखाता है कि सपने पूरे करने की कोई उम्र नहीं होती।मेहनत हर किसी को करनी पड़ती है बस उनका नजरिया अलग होता है। अन्नु ने बिना समाज की परवाह किये अपने परिवार के साथ से वो सपना सच कर दिखाया जो लाखों आंखों में होता तो है पर सच सब नही कर पाते कुछ लोग ही सपने साकार कर पाते है।

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