File Image Credits: Twitter
Jammu: आज जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद घाटी का रंग रूप अब बदलना चालु हो गया है और मोदी सरकार कश्मीर को विकास की पटरी पर ले जाने पर अग्रसर है। अब एक अन्न महत्वपूर्ण फैसला लिया जा रहा है, जैसा कि अब लोकसभा ने जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा अधिनियम पारित कर दिया है। इस दौरान देश के गृहमंत्री अमित शाह ने खुशी जताई है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि “जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा (संशोधन) विधेयक का लोक सभा में पारित होना जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। इस ऐतिहासिक बिल से जम्मू कश्मीर के लोगों का लंबे समय से प्रतीक्षित सपना सच हो गया है।” आगे उन्होंने कहा कि “कश्मीरी, डोगरी, उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी अब जम्मू कश्मीर की आधिकारिक भाषाएँ होगी। इस अभूतपूर्व विधेयक के माध्यम से गोजरी, पहाड़ी और पंजाबी जैसी प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के लिए विशेष प्रयास किया जाना भी प्रस्तावित है।” अब हिन्दू पर सभी हो गर्व ही रहा है।
अमित शाह ने कहा “साथ ही इस बिल से जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति तथा भाषा अकैडमी जैसे अन्य वर्तमान संस्थागत ढाँचे को सुदृढ़ किया जाएगा। यह बिल जम्मू-कश्मीर की संस्कृति को पुनर्स्थापित करने के लिए नरेंद्र मोदी की कटिबद्धता को दर्शता है, इसके लिए उनका आभार व्यक्त करता हूँ।” फिर उन्होंने कहा की साथ ही मैं जम्मू-कश्मीर के बहनों और भाइयों को विश्वास दिलाता हूँ कि मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर के गौरव को वापस लाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बिल को कैबिनेट की मंजूरी पर कहा था कि “सरकार ने डोगरी, हिंदी और कश्मीरी को जम्मू कश्मीर में आधिकारिक भाषाओं के रूप में शामिल करने के लिए क्षेत्र की लंबे समय से लंबित मांग को स्वीकार कर लिया है।” उन्होंने मीडिया से कहा था की यह न केवल क्षेत्र की लंबे समय से लंबित सार्वजनिक मांग की पूर्ति है, बल्कि समानता की भावना को भी बनाए रखता है, जिसकी शुरुआत पिछले साल 5 अगस्त को हुई थी।
अब भारत की मोदी सरकार घाटी को लेकर और भी अहम् काम करने के मूड में है। UN में भारत ने सुरक्षा परिषद के एजेंडे से भारत-पाकिस्तान मुद्दे को “आउटडेटेड एजेंडा आइटम” के तहत जम्मू और कश्मीर के मुद्दे को स्थायी रूप से हटाने की बात कही है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान पर भारत ने कहा कि एक प्रतिनिधिमंडल है जो हर बार खुद को अंतरराष्ट्रीय शांति में योगदान देने के रूप में खुद को स्थापित करने का प्रयास करता है, लेकिन दुर्भाग्य से यह पहचानने में असफल रहता है कि यह विश्व स्तर पर अंतरराष्ट्रीय दशशतगर्दी का सिंडिकेट के लिए हब के रूप में जाना जाता है।
UN की वार्षिक रिपोर्ट पर एक आभासी अनौपचारिक बैठक के दौरान, पडोशी देश पाक के संयुक्त राष्ट्र के दूत मुनीर अकरम ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर एक बार फिर आवाज़ उठाई और कहा कि जम्मू कश्मीर की स्थितियों पर सुरक्षा परिषद को अपने स्वयं के प्रस्तावों और निर्णयों को लागू करने में कमी पाई गई है।
जानकारी हो की पिछले महीने, भारत ने जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा और धारा 370 समाप्त करने की पहली वर्षगांठ मनाई। चीन ने एनी अदर बिजनेस के तहत फिर से सुरक्षा परिषद में जम्मू और कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा का आह्वान किया। ये सभी बैठकें बिना किसी नतीजे के समाप्त हुईं, क्योंकि सुरक्षा परिषद के कई अन्य सदस्यों ने माना है कि जम्मू-कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय मसला है।
भारत के सर के ताज जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद विकास नया दौर चालु हो रहा है और घाटी में शान्ति के साथ साथ विकास की पटरी में ट्रैन दौड़ रही है। कश्मीर घाटी का इतिहास डोगरा राजाओं के साहस और कहानियों से भरा पड़ा है। अब कश्मीर के विकास में डोगरा शासकों का गौरवशाली इतिहास वापस लौटाने का मुद्दा भी गति पकड़ रहा है।
जम्मू कश्मीर के अंतिम रहा एक हिन्दू थे और राजा हरि सिंह से 250 साल पहले जम्मू कश्मीर में मुस्लिम शासकों ने रॉक किया, जो की साल 1326 के बाद बाहरी आक्रमण के बाद हुआ। कश्मीर में 1326 के पहले भी हिन्दू राजाओं का शासन रहा था। तब कश्मीर की संस्कृति और समाज में बहुत से बदलाव देखने को मिले थे। 19वीं सदी में कश्मीर सिख साम्राज्य का हिस्सा बन गया और अंतत: जम्मू के डोगरा राजाओं ने कश्मीर की बाग़ डोर संभाली।
अब घाटी से धरा 370 के अंत के बाद मौजूदा जम्मू-कश्मीर प्रशासन इस दिशा में जुटा है। जम्मू संभाग के आसपास लोग यह कहते हुए सुने जा सकते हैं कि अब डोगरा शासकों की इस जमीन पर न्याय होगा। सभी को नौकरी मिलेगी, विकास में एक चौथाई नहीं, बल्कि आधा हिस्सा रहेगा।
अब इस ओर एक पहल शुरू की गई है। बाग-ए-बाहु गार्डन में सभी तैयारियों के साथ म्युजिक एंड साउंड सिस्टम लगाया जा रहा है। अब यहां हर दिन चार शो आयोजित होंगे, जिनमें डोगरा शासकों की वीरता का वर्णन किया जाएगा। इसके अलावा जम्मू संभाग की मानसर लेक पर भी डोगरा संस्कृति और उनके गौरव को दर्शाने के लिए योजना बनाई गई है। ये संस्कृति ऐसी है जिसमें राजपूत डोगरा, ब्राह्मण डोगरा, गुर्जर, बक्करवाल और जोगी आदि समुदाय शामिल हैं।
लोग उत्साह में है की नरेंद्र मोदी ने चुनाव के समय वादा किया था कि वे जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाएंगे और अब वह वादा पूरा हो गया है। अब जम्मू संभाग के लोगों के मन में विकाश के साथ साथ नौकरी व्यवसाय और जमीन का मुद्दा है। अब धीरे धीरे उस तरफ बढ़ रहे हैं। यहां आईआईएम जैसे संस्थान आ गए हैं। अब बड़ी इंडस्ट्री और कंपनी आने के इंतज़ार में स्तानीय लोग नज़रे टिकाये है।